Monday, April 29, 2024
उत्तर-प्रदेशगोरखपुर

गबन मामलाः 19 लाख खातों में फंसे हैं 300 करोड़, लंबे समय से नहीं हो रहा था संचालन……

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

गोरखपुर मंडल के डाकघरों में करीब 19 लाख निष्क्रिय खाते हैं। जिनमें करीब 300 करोड़ रुपए फंसे हैं। इन खातों में लंबे समय से लेनदेन नहीं किया गया है। इनमें ज्यादातर बचत खाते हैं। वहीं मासिक जमा योजना और एमआईएस श्रेणी के खातों को भी निष्क्रिय मानकर लेनदेन पर रोक लगा दी गई है। इन खातों की भी अगर जांच की जाए तो गबन के बड़े मामले सामने आ सकते हैं।

डाकघर का नियम है कि तीन साल तक अगर किसी खाते में लेनदेन नहीं हुआ है तो उसे निष्क्रिय मान लिया जाता है। इन खातों को चालू करवाने के लिए खाताधारक को केवाईसी भरकर जमा करना पड़ता है। विभाग 12 सालों तक निष्क्रिय खातों के खाताधारकों का इंतजार करता है। इस समय सीमा के बीतने के बाद खातों को जब्त कर स्वतः सरकारी कोष में जमा कर दिया जाता है। डाक विभाग की जांच टीम ने जो मामले पकड़े हैं उसमें अधिकारियों ने लापरवाही बरती। निष्क्रिय खातों के रूपये सरकारी खजाने में जमा नहीं कराए।

इसकी जानकार डाककर्मियों थी और उन्होंने इस मौके का फायदा उठाकर निष्क्रिय खातों से लाखों रूपये गबन कर लिए। सिर्फ गोरखपुर में ही चार डाकघरों से एक करोड़ रुपये से अधिक के गायब होने का आरोप लगा था। मामला खुलने पर गबन करने वाले डाककर्मियों ने 50 लाख रुपये वापस जमा भी करा दिए थे। जांच में जब से गड़बड़ी पकड़ी गई तो शक और गहराता गया।

दोबारा शुरू कर सकते हैं खाते, देनी होगी केवाईसी

प्रवर डाक अधीक्षक मनीष कुमार ने बताया कि जो खाते साइलेंट श्रेणी में डाले गए हैं। उन्हें अगर खाताधारक दोबारा शुरू कराना चाहता है। तो उन्हें केवाईसी भरनी होगी। साथ ही जरूरी प्रमाणपत्रों के साथ खाता फिर से शुरू करने के लिए प्रार्थना पत्र देना होगा। यदि खाताधारक के नामिनी आते हैं, तो उन्हें भी संबंधित प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

वेलफेयर स्कीम में जमा करवाना होता है धन

12 साल तक खाताधारक का इंतजार किया जाता है। इसके बाद रिपोर्ट मंत्रालय को भेज दी जाती है। मंत्रालय की अनुमति मिलने के बाद निष्क्रिय खातों की रकम वेलफेयर स्कीम के तहत सरकारी खजाने में जमा करा दी जाती है।

एक लाख से अधिक खातों की हुई है जांच

उधर प्रधान डाकघर के अलावा तीन अन्य डाकघरों में वित्तीय गड़बड़ी सामने आने के बाद मामले की विभागीय जांच शुरू करा दी गई। एक साल तक चली जांच में कुल एक लाख से अधिक खातों की जांच की गई। इसमें 68 हजार खाते तो सिर्फ पेंशन के थे। इसके अलावा निष्क्रिय खाते, फर्जी नाम से इंट्री, खाते पर फर्जी एटीएम कार्ड जारी होने के साथ अन्य वित्तीय लेन.देन संबंधी मामलों की जांच की गई।

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