पड़ोसी से फावड़ा मांगकर पत्नी ने 12 घंटे में घर में बना दी पति की कब्र, पढ़िए आगे क्या हुआ……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
शाहजहांपुर। पति की हत्या कर शव दफनाने वाली शिल्पी पूरी तरह से सामान्य है। उसके चेहरे पर न कोई शिकन है और न ही अपने कृत्य को लेकर पछतावा। जिस कमरे में शव दफनाया था तीन दिन तक उसके पास में ही रसोई में खाना बनाती और खाती रही। तीनों बच्चों को पिता के बारे में झूठ बोलकर बहलाती रही। अपने हाव भाव से उसने किसी को भी शक नहीं होने दिया। गुरुवार को जब पुलिस ने पूछताछ की तो हर सवाल का बेबाकी से जवाब देती चली गई।
हालांकि स्वयं को निर्दोष बताने के लिए बार.बार अपनी चोटें दिखाती रही। दावा करती रही कि पति ने आत्महत्या की है। शिल्पी ने बताया कि उसने शव को फंदे से उताकर जमीन पर लिटा दिया था। इसके बाद कमरे की कुंडी लगा दी। बच्चे सोकर उठे तो पिता के बारे में पूछा। उसने कह दिया कि अचानक काम के लिए मुंबई चले गए।
एक दो महीने में वापस आ जाएंगे। इसके बाद वह पास में बनी रसोई में बच्चों के लिए चाय नाश्ता बनाने लगी। सुबह नौ बजे जब वे लोग बाहर खेलने चले गए तो पड़ोस के घर से फावड़ा मांग लाई। इसके बाद कमरे में गड्ढा खोदना शुरू किया। आधे घंटे बाद ही बच्चे वापस आ गए तो कमरे में ताला डालकर फिर से रसोई में चली गई।
इसके बाद दिन में उसको जब.जब मौका मिला उसने गड्ढ़ा खोदा। शाम करीब सात बजे बच्चों को खाना बनाकर खिलाया और बरामदे में सुला दिया। इसके बाद शिल्पी ने फिर से गड्ढा खोदना शुरू किया। नौ बजे तक गड्ढा पूरी तरह खोद लिया तो उसमें पति का शव दफन कर दिया। ऊपर से पटले डाल दिए। इसके बाद खाना खाकर बच्चों के पास जाकर सो गई।
अगले दिन भी शिल्पी सामान्य दिनों की तरह उठी। घरेलू काम किए। खाना बनाकर बच्चों के साथ खाया। आस पड़ोस के लोगों से भी मिली। उनसे सामान्य दिनों की तरह बात करती रही। बच्चों ने कमरे में लगे ताले के बारे में पूछा तो कह दिया कि ऐसे ही लगा दिया।
दस अगस्त की सुबह जब बच्चों को कमरे से कुछ दुर्गंध महसूस हुई तो उन्होंने कमरा खोलने के लिए कहा, लेकिन शिल्पी ने कह दिया कि कुछ नहीं है। हालांकि कुछ ही देर बाद गुरविंदर ने भी यही बात आकर कही तो कह दिया कि चूहा मरा है।
बंदर ले गया मोबाइल
एसपी एस आनंद ने पूछताछ के दौरान गोविंद के मोबाइल के बारे में जानकारी की तो शिल्पी ने बताया कि बंदर उठा ले गया। इसके बाद सर्विलांस की मदद से जब पता किया गया तो छह अगस्त देर रात तक मोबाइल आन होने की पुष्टि हुई। लेकिन उसके बाद बंद हो गया। हालांकि गुरुवार देर रात तक पुलिस मोबाइल बरामद नहीं कर सकी।
शक होने पर भाई के पास किया फोन
गोविंद व शिल्पी में आए दिन झगड़े होते रहते थे। दोनों पड़ोसियों से ज्यादा मतलब नहीं रखते थे। लेकिन गोविंद सात अगस्त के बाद से जब गांव में नजर नहीं आया तो उन लोगों को शक हुआ। शिल्पी ने उन लोगों को कोई सही जवाब नहीं दिया। जिस पर दस अगस्त को गांव के ही एक परिचित ने नासिक में रह रहे गोविंद के फौजी भाई धर्मेंद्र कुमार के घर फोन किया। वहां गोविंद की मां को पूरी बात बताई, जिस पर उन्होंने गुरविंदर को घर भेजा।