मानव जाति की सेवा ही मेरा आदर्श: डॉ. हर्षवर्धन

उन्होंने पोस्ट में आगे लिखा,”जब मैंने गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने की इच्छा के साथ पचास साल पहले जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, कानपुर में एमबीबीएस में दाखिला लिया तो मानव जाति की सेवा ही मेरा आदर्श वाक्य था। दिल से एक स्वयंसेवक, मैं हमेशा पंक्ति में अंतिम व्यक्ति की सेवा करने के प्रयास के दीन दयाल उपाध्याय जी के अंत्योदय दर्शन का प्रबल प्रशंसक रहा हूं। तत्कालीन आरएसएस नेतृत्व के आग्रह पर मैं चुनावी मैदान में कूदा।”

डॉ. हर्षवर्धन ने कोविड के दौर को किया याद

उन्होंने कोविड महामारी के दौर को याद करते हुए लिखा,”मैंने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के साथ-साथ दो बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कार्य किया, यह विषय मेरे दिल के करीब है। मुझे पहले पोलियो मुक्त भारत बनाने की दिशा में काम करने और फिर उसके पहले और दूसरे चरण के दौरान खतरनाक कोविड​​​​-19 से जूझ रहे हमारे लाखों देशवासियों के स्वास्थ्य की देखभाल करने का दुर्लभ अवसर मिला।

मानव जाति के लंबे इतिहास में, केवल कुछ ही लोगों को गंभीर समय में अपने लोगों की रक्षा करने का विशेषाधिकार दिया गया है! और मैं गर्व से दावा कर सकता हूं कि मैंने जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ा, बल्कि इसका स्वागत किया।”