रिक्शा चालक की दिलचस्प जीवन शैली, दिन में भीख मांगता है शाम को करता है ऐश……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
प्रयागराज। आर्थिक बदहाली भिक्षा मांग कर भी गुजारा करने पर मजबूर कर देती है। प्रयागराज में एक शख्स ऐसा भी है। जिसने गुजारे का अजीबो.गरीब तरीका अपनाया है। गंभीर रूप से घायलावस्था में इस शख्स को टूटा.फूटा रिक्शा लेकर चलते हुए आप भी देखेंगे तो उसकी ओर मदद को तो दौड़ पड़ेंगे। हालांकि यही शख्स शाम को पूरी तरह स्वस्थ अवस्था में ऐश करते दिखेगां। आपका माथा भी ठनक जाएगा। करीब दो वर्ष से प्रयागराज शहर का यह रिक्शा वाला चर्चा का विषय बना है। इसके अलग.अलग रूप भी भ्रम में डाल रहे हैं।
लंबे कद पर दाढ़ी, हाथ पर पट्टी के बगल सूख चुके खून को देख तरस आ जाता है बालसन चौराहा, मजार तिराहा, गवर्नमेंट प्रेस चौराहा, धोबीघाट चौराहा और महाराणा प्रताप चौराहा। इन प्रमुख चौराहों पर छह फुट से भी कुछ लंबे, दाढ़ी वाले रिक्शा चालक को हमेशा रिक्शा लिए पैदल ही चलते देखा जा रहा है। रिक्शा पूरी तरह से टूटा.फूटा, पैर व हाथ में मेडिकल पट्टी बांधे, सिर पर पट्टी और माथे के अगल.बगल से बह कर सूख चुके खून को देखकर किसी का भी दिल पसीज उठता है। भिक्षा की बजाए 10.20 रुपये की मदद इसे दौड़ कर लोग देते हैं। इस आमदनी के बाद चालाक रिक्शे वाले का दूसरा रूप शाम को दिखता है। जब वह घंटाघर पर उसी रिक्शे के साथ स्वस्थ अवस्था में बिरयानी की दुकान पर दिखता है।