सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की ड्रेस के पैसे से किसी ने करा लिया ऑपरेशन, किसी ने खरीदा घर का राशन…….
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
गोरखपुर। गोरखपुर जिले में विश्वनाथ साहनी के घर का राशन समाप्त था तो जैसे ही बच्चे के स्कूल ड्रेस के लिए खाते में पैसा आया, तत्काल उस पैसे को राशन की खरीद में लगा दिया। नरेंद्र मौर्य को परिवार के सदस्य का आपरेशन कराना था। सो उन्होंने ड्रेस के पैसे को आपरेशन में लगा दिया। इन सबका कहना है कि ड्रेस खरीदने से ज्यादा जरूरी थाए घर की फौरी जरूरत को पूरा करना। परिषदीय स्कूलों के बच्चों को ड्रेस दिए जाने की सरकार की योजना का यह सच सामने आया है बीएसए कार्यालय के सर्वे में।
1100 बच्चों के अभिभावकों से की गई बातः बीएसए के निर्देश पर कार्यालय के कर्मचारियों ने करीब 1100 बच्चों के अभिभावकों से बात की। इनमें केवल करीब 400 अभिभावकों ने ही इस बात की पुष्टि की कि उन्होंने ड्रेस के पैसे का इस्तेमाल उसे खरीदने में ही किया है। करीब 500 ;45 प्रतिशत अभिभावकों ने अलग.अलग वजहों से उन पैसे को घरेलू कार्य में खर्च कर दिया था। करीब 200 अभिभावक तो ऐसे थे। जिन्हें खाते में ड्रेस का पैसा आने की जानकारी ही नहीं थी। करीब 100 लोगों का यह भी कहना था कि पुरानी ड्रेस अच्छी थी। ऐसे में नया ड्रेस खरीदने की जरूरत महसूस नहीं हुई।