Thursday, April 25, 2024
उत्तर-प्रदेशगोरखपुर

यहां एफआइआर दर्ज होते ही थानेदार सहित छह पुलिस कर्मी फरार……

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

गोरखपुर। कानपुर के इडब्लूएस बर्रा.3 निवासी कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या के आरोपित निलंबित थानेदार जगत नारायण सिंह सहित छह पुलिस कर्मी रात में करीब डेढ़ बजे मुकदमा दर्ज होते ही भाग निकले। गोरखपुर पुलिस ने उन्हें पकड़ने पर विशेष ध्यान भी नहीं दिया। जबकि मंगलवार करीब 12 बजे ही पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को पता चल गया था कि थानेदार सहित कई पुलिस कर्मियों की भूमिका घटना में संदिग्ध है।

पूरे दिन मामले को मैनेज करने में जुटे रहे हत्यारोपित पुलिस कर्मी

मंगलवार की रात मनीष गुप्ता की हत्या के बाद निलंबित थानेदार ने एसएसपी डाण्विपिन ताडा को झूठी कहानी सुना दी थी। उन्होंने उन्हें बताया था कि मंगलवार रात में मनीष व उसके दोस्त नशे में थे। नशे में वह अपने बेड से नीचे गिरा और उसकी नाक में गंभीर चोट लग गई थी। उसे इलाज के लिए निजी अस्पताल व बीआरडी मेडिकल कालेज ले जाया गया। वहां इलाज के दौरान मनीष की मौत हो गई थी। लेकिन दोपहर करीब 12 बजे मनीष की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने एसएसपी के पास एक रिकार्डिंग भेजी जिसमें मनीष ने अपने भांजे के दोस्त दुर्गेश के पास कर बताया था कि पुलिस उसके साथ दुर्व्यवहार कर रही है। आडियो सुनने के बाद ही एसएसपी को पता चल गया था कि थानेदार उनसे झूठ बोल रहे थे। उन्होंने आडियो के आधार पर सभी छह पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया था।

आडियो सुनते ही समझ गए थे एसएसपी, झूठ बोल रहे थे थानेदार

एसएसपी को यह पता चल गया था कि घटना में पुलिस कर्मियों की भूमिका थोड़ी संदिग्ध है। बावजूद इसके पुलिस ने हत्यारोपित थानेदार सहित छह पुलिस कर्मियों को न ही हिरासत में लिया और उनसे न ही कोई पूछताछ की। इसका परिणाम रहा कि आरोपित पुलिस कर्मी किसी तरह से मामले को मैनेज करने में जुटे रहे कि उन पर कोई बड़ी कार्रवाई न हो। जबकि मनीष के स्वजन मुकदमा दर्ज करने को लेकर पूरी तरह से अड़े हुए थे। रात करीब 1.23 पर जैसे ही थानेदार सहित छह पुलिस कर्मियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ सभी आरोपित पुलिस कर्मी फरार हो गए।

मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई है। एसपी क्राइम को पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी दी गई है। जब तक किसी के विरुद्ध मुकदमा न दर्ज हो उसे हिरासत में नहीं लिया जा सकता है। थानेदार व अन्य पुलिस कर्मी तो निलंबित होते ही यहां से भाग गए थे। उन्हें लग गया था कि कहीं उनके विरुद्ध कोई बड़ी कार्रवाई न हो जाए इसे लेकर वह भाग गए थे। घटना को लेकर पोस्टमार्टम की भी गंभीरता से जांच की गई है। बाहर से कहीं घातक चोट के निशान नहीं मिले हैं। माथे पर रगड़ के निशान है। दोहनी पर दो छोटे घांव हैं। पुलिस ने पीड़िता की भी पूरी मदद की है। उनकी मांग पर तत्काल पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया। पोस्टमार्टम होने में देरी हुई। इसके चलते मुकदमा दर्ज होने में वक्त लगा। मुख्यमंत्री जी ने भी बिना किसी मांग के 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया है।

डा. विपिन कुमार ताडा, एसएसपी।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *