Friday, April 19, 2024
बिहार

यहां एक ऐसा गांव जिससे थर थर कांपता है कोरोना, किसी भी लहर का यहां नहीं दिखा कहर…..

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

बक्सर। कोरोना से जंग में बिहार के बक्सर का रेवटियां गांव नजीर है। पहली लहर हो या अभी चल रही दूसरी लहर, 60 हजार की आबादी वाले जिले का चौंगाई प्रखंड संक्रमण का हॉट.स्पॉट बना रहा लेकिन इसी प्रखंड के नाचाप पंचायत के रेवटियां गांव के ग्रामीणों को संक्रमण छू भी नहीं सका। दरअसल, इस गांव के लोग सतर्कता और संयम रूपी हथियार से लैस हैं और इसी वजह से कोरोना वायरस इस गांव से थर.थर कांपता है। इसकी तस्दीक चौंगाई के चिकित्सक भी करते हैं और गांव को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

बेवजह नहीं निकलते लोग बाहर

जिले में कोरोना संक्रमण के आए तकरीबन 13 महीने गुजरने के बाद भी गांव में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आने की खास वजह है। यहां के लोग न तो बेवजह कहीं जाते हैं और ना ही बाहर से आने वाले लोगों को कोई तरजीह देते हैं। गांव के लोगों ने बैठक कर कड़े नियम बनाए। लगभग दो हजार की आबादी वाले इस गांव से बड़ी संख्या में लोग दूसरे प्रदेशों में रोजगी.रोजगार के लिए गए हुए हैं। उनके वापस आने पर उन्हें गांव के बाहर स्कूल में कम से कम तीन दिन क्वारंटाइन रहना पड़ता है। लक्षण नजर आने पर उनकी जांच कराई जाती है। पिछले साल बाहर से आए गांव का एक प्रवासी संक्रमित भी मिला था। गांव के नियम का पालन करने के कारण उसके गांव में घुसने से पहले ही इसका पता चल गया और उसे बाहर.बाहर ही इलाज के लिए अनुमंडल स्तर पर बने आइसोलेशन केंद्र में भेज दिया गया। बाद में संक्रमण मुक्त होकर वह गांव में आया।

मामले कम होने पर भी नहीं बरती लापरवाही

पिछले साल लॉकडाउन केे दौरान काफी एहतियात बरती और खुद ही गांव की बैरिकेडिंग कर दी। इसका नतीजा यह रहा कि पिछले साल इस गांव में एक भी कोरोना के मरीज नहीं मिले। इस बार भी कोविड.19 पार्ट टू का पालन लोग बखूबी कर रहे हैं। ग्रामीण युवक भीम सिं, गणेश कुमार, सोनू कुमार, मोनू कुमार और पीयूष कुमार ने बतायाा कि इस गांव की आबादी तकरीबन दो हजार से ऊपर है। संक्रमण की लहर कमजोर पडऩे के बाद भी यहां के लोगों ने बेवजह घर से बाहर नहींं निकलने के नियम का पालन किया। अगर कहीं जाते भी थे तो सावधानी और सतर्कता केे साथ रहते थे। यही नहीं गांव में आने वाले हर लोगों पर ग्रामीणों की पैनी नजर रहती है और बिना मास्क के गांव में प्रवेश नहीं दिया जाता है।

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