Saturday, May 4, 2024
उत्तर-प्रदेशवाराणसी

ज्ञानवापी पर फैसला देने वाले जज का हुआ सम्मान समारोह में अभिनन्दन……. भाजपा जिलाध्यक्ष/ विधान परिषद सदस्य व कुलपति ने कहा…….पूर्व जज ने कहा स्वयं के विवेक का प्रयोग करना होता है,, कुलपति ने कहा हमारी संस्कृति हमारी पहली शक्ति हैं

ज्ञानवापी केस का फैसला पूर्णतः सत्यता व पारदर्शिता पर आधारित :पूर्व जिला जज

हमारी प्राथमिकता में है राष्ट्रीय चरित्र — प्रो. आनंद कुमार त्यागी

किसी देश का नही बदलता इतिहास और भूगोल— राजर्षि गांगेय हंस विश्वामित्र

विद्यापीठ में ‘काशी में ज्ञानवापी’ विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी व सम्मान समारोह का आयोजन

वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के समिति कक्ष में गुरुवार को प्रबोधिनी फाउंडेशन एवं प्रबुद्धजन काशी के संयुक्त तत्वावधान में ‘काशी में ज्ञानवापी’ विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी एवं अजय कृष्ण विश्वेश (पूर्व जिला जज)के सम्मान में समारोह का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारम्भ अजय व्यास, आशुतोष एवं रूद्र के वैदिक मंगलाचरण के साथ हुआ।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा कि ज्यूडसरी सेवा अन्य सेवाओं से भिन्न होता है। यहां जो भी कार्य होता है उसे पत्रावली के आधार पर किया जाता है, यहां हर साक्ष्य का ध्यान रखना होता है और स्वयं के विवेक का प्रयोग करना होता है। जिससे न्याय को मूर्त रूप दिया जा सके। ज्ञानवापी मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिला न्यायालय में मेरे समक्ष आया।सर्वोच्च न्यायलय का निर्देश हमारे लिए जिम्मेदारी का बोध कराने वाला था। मैने दोनों पक्षो को पूरा सुनने के बाद साक्ष्यों के आधार पर ही कोई आदेश पारित किया। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी केस का फैसला पूर्णतः सत्यता व पारदर्शिता पर आधारित है। अपने पिता का जिक्र करते हुये कहा मेरे पिता की पूरी शिक्षा-दीक्षा बनारस में हुई। उनसे जब भी काशी की बात होती तो बड़े भावावेश में आ जाते थे। वो कहते थे यहाँ पर कंकर-कंकर में शंकर है। काशी तीनों लोकों से न्यारी है। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राजर्षि गांगेय हंस विश्वामित्र ने कहा राष्ट्र और राज्य दोनों एक नहीं हैं, लेकिन दोनों का सम्बन्ध शरीर और आत्मा जैसा है। हमारा सांस्कृतिक उदय जिस भूमि से हुआ वो आज हमारे पास नही है। किसी भी देश का भूगोल और इतिहास नही बदलता है। जब भारत में संविधान नही था, तब भी भारत का अस्तित्व था।उन्होंने आगे कहा हमारी सांस्कृतिक शक्ति ही भारत है इसलिए इसकी रक्षा राष्ट्र की रक्षा है। उन्होंने पूर्व जिला जज को धन्यवाद देते हुये कहा मैंने पद का सम्मान होते बहुत देखा, लेकिन आज पहली बार कद का सम्मान होते देख रहा हूँ। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने कहा हमारी संस्कृति हमारी पहली शक्ति है। आज़ादी के 75 साल बाद भी हम विश्व के अग्रणी देश नही बन पाए हैं। प्रारम्भ से ही हमारी प्राथमिकता सबसे पहले राष्ट्रीय चरित्र की रही है। पहले भारत विश्वगुरु अपने ज्ञान के बल पर था। हमने अपने शिक्षा पद्धति को पीछे छोड़ दिया इसलिए थोड़े पीछे रह गये लेकिन अजय कृष्ण जैसे सपूत पैदा होंगे तो निश्चय ही राष्ट्रीय चेतना पुनः स्थापित होगी।

उन्होंने पूर्व जज को धन्यवाद देते हुये कहा आपने भारतीय परम्परा, संस्कृति की संरक्षक के रूप में ज्ञानवापी का निर्णय दिया जिसके लिए भारत सदैव कृतज्ञ रहेगा। अगले वक्ता के रूप में प्रदीप राय ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया की आलोचना करने की परम्परा हमारे देश में नही रही है। हमारी परम्परा समीक्षा करने की है और इसके लिए सम्मानित न्यायालय है।

इस दौरान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुनील विश्वकर्मा जिन्होंने राम लला की मूर्ति का स्केच बनाया था। उनका सम्मान स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र देकर किया गया।विषय प्रस्तावना डॉ. नीरज सिंह ने एवं संचालन डॉ. संजय सिंह गौतम ने किया।

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