हैवानियत इस कदर हावी है कि इंसानियत तोड़ रही दम, यहां कपड़े नहीं कफन के दाम छू रहे आसमान….
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
कानपुर। इस समय कफन के धागों में दर्द नहीं सिर्फ फायदा तलाशा जा रहा है। आपदा में भी लाभ का अवसर तलाश रहे लोगों की सूची लंबी है। अस्पताल से लेकर मेडिकल स्टोर तो अभी तक शामिल ही थे अब अंतिम संस्कार करना भी महंगा हो चला है। वर्तमान हालातों को देख यह कह सकते हैं कि इंसान की जान बहुत सस्ती है, कफन महंगा हो गया है। जिले में कोरोना से मरने वालों की संख्या तो एक साल में 55 ही है लेकिन अप्रैल से मई माह तक जिले में मौत के बनने वाले प्रमाण पत्र पर गौर करें तो यह संख्या पांच सौ के करीब पहुंच चुकी है। इसमें सामान्य बीमार अन्य हादसों से हुई मौत भी जुड़ी हैं।
सिर्फ पैसे तलाश रहे जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर तो कोई खामी नहीं रही। हां कोरोना से मौत का आंकड़ा देखें तो अप्रैल माह से लेकर अभी तक 45 लोगों की जान गई। वहीं अन्य बीमारियों से हुई मौतों का आंकड़ा जरूरत बढ़ गया। इस दौरान अंतिम संस्कार के लिए लोग सामग्री लेने को भटकते रहे कारण कि दुकानों में ताला है। दुकान के बाहर लिखे नंबर पर डायल करते ग्राहक दुकानदार से संपर्क करते हैं। इसमें मोल भाव की कोई गुंजाइश नहीं होती। जो कफन पहले दो सौ का था अब तीन सौ रुपये वसूले जा रहे हैं। अन्य सामग्री में भी डबल दाम लिए जा रहे हैं। कफन जो अमीर हो या गरीब सभी के लिए सामान होता है। वह तीस.चालीस रुपये मीटर के स्थान पर पचास रुपये से साठ रुपये मीटर में मिल रहा है। मजबूरी हो तो दाम बढ़ भी जाते हैं।