फूस की छत, मिट्टी की दीवार, मजदूरों की मौत के बाद गमजदा परिवारों को आर्थिक मदद की दरकार……
मेरठ। लोहियानगर में पटाखा फैक्टरी में विस्फोट में मारे गए पांच मजदूरों के शव के साथ जिंदगीभर का रंजोगम लेकर घर लौटे परिजनों की आंखों के आंसू सूख नहीं पा रहे हैं। घर के कमाऊ बेटों की मौत के बाद इन परिवारों के सामने रोजी.रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है। कच्चे मकानों में जीवन व्यतीत कर रहे व्यवस्था के मारे इन परिवारों को अब शासन से आर्थिक मदद की दरकार है।
मेरठ के लोहियानगर में धमाके वाली बिल्डिंग के मलबे में एनडीआरएफ की टीम को भारी मात्रा में स्काई बम और खिलौना रिवॉल्वर के शॉट मिले। टीम ने साफ कहा कि यहां पर पटाखों का काम चल रहा था लेकिन एफआईआर में कुछ दर्ज नहीं किया गया। वहीं रात के अंधेरे में पुलिस ने जेसीबी से गड्ढा खुदवाकर पानी डालते हुए इन पटाखों को मिट्टी में दबा दिया। इसका वीडियो भी सबूत के तौर पर है। इसके बावजूद भी इन सबको सबूत का हिस्सा नहीं बनाया गया। अधिकारी इस साबुन की फैक्टरी में हादसा बताते रहे।
उधर बिहार से लंबा सफर तय कर मेरठ पहुंचे मृतकों के परिजन मोर्चरी पर बेबाकी से कहते रहे कि मजदूरों को झूठ बोलकर लाया गया था। उनसे कहा गया था कि रंग का काम करना है जबकि उनसे जबरन पटाखों का काम कराया जा रहा था। इतने सारे सबूत होने के बाद भी अधिकारी अभी तक खामोश हैं। जांच चल रही है पर कार्रवाई से हाथ खींचा जा रहा है। आखिर इसकी वजह क्या हैघ् यह बड़ा सवाल है।
लोहियानगर के एम.ब्लॉक में 17 अक्तूबर की सुबह हुए भीषण विस्फोट में बिहार निवासी मजदूर प्रयाग साह, चंदन, सुनील, अयोध्या राम, रूपन साह की मौत हो गई थी। दो दिन बाद गुरुवार को मेरठ पहुंचे परिजन मोर्चरी पहुंचे और शवों की पहचान की। यहां से वापस लौटते हुए परिजनों की आंखों में आंसू के साथ शासन से आर्थिक मदद मिलने की उम्मीद भी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।