अनोखी यारी: भाषा नहीं, सिर्फ मोहब्बत समझते हैं दयाराम और बत्तख बादल, घर की दुलारी, रात को करता है चौकीदारी
लखनऊ पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क।
मनुष्य के जीवों से प्रेम की अनगिनत कहानियां हैं। कभी किसान के बैल हीरा-मोती साहित्य का हिस्सा बन जाते हैं। कभी रूपहले पर्दे पर इंसान और जानवरों के प्रेम को तेरी मेहरबानियां और हाथी मेरे साथी फिल्म के जरिए व्यक्त किया जाता है।
अमेठी के मोहम्मद आरिफ की सारस से दोस्ती होती है तो दुनिया इसकी सराहना करने लगती है। उत्तर प्रदेश के ही मुजफ्फरनगर शहर के कूकड़ा में दयाराम वाल्मीकि और उनकी नर बत्तख बादल के बीच प्रेम भी अनूठा है।
कूकड़ा में मंडी से आगे निकलते ही मुख्य मार्ग पर दयाराम वाल्मीकि का घर है। बुजुर्ग के घर में चहलकदमी करती नर बत्तख सबका ध्यान खींच रही है।
दयाराम के साथ वह सड़काें पर घूमते दिखती है। अगर दयाराम घर से निकलता है तो उसका दूर तक पीछा करती है।शाम को अगर देरी से घर पहुंचते हैं तो बादल नाम का यह बत्तख उसका इंतजार करती रहती है। रात में उन्हीं की चारपाई के पास सोते हुए भी इसे देखा जा सकता है। दिलचस्प बात यह है कि आसपास के जानवर या कुत्ते उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाते ।
चार साल से है परिवार का हिस्सा
बुजुर्ग दयाराम के पोते मनोज कुमार बताते हैं कि पांच साल पहले वह बत्तखों के एक जोड़े को हरिद्वार से लेकर आए थे। इनमें मादा बत्तख की मौत हो गई, जबकि दूसरा नर बत्तख उनके पास है। इसे बादल नाम से पुकारते हैं। यह पूरे मोहल्ले का दुलारा है।
रात के समय बन जाता है चौकीदार
बादल रात के समय दयाराम की चारपाई के पास ही सोता है। अगर सड़क पर कोई व्यक्ति आता दिखाई देता है तो यह अपनी आवाज में शोर मचाने लगता है। इससे मोहल्ले में जाग हो जाती है।
मनोज बताते हैं कि बत्तख को धीरे-धीरे परिवार के सदस्यों से प्रेम हो गया, लेकिन सबसे ज्यादा यह बाबा के पास रहती है।