खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा युवक, सिस्टम ने 1999 में घोषित कर दिया था मृत……
गोरखपुर। यह कहानी जंगल टिकरिया गांव के जोगिंदर की है। तीन बहनों के इकलौते भाई जोगिंदर के पैदा होने पर घर खुशियों से भर गया था। पिता पारस को नहीं पता था कि रात.दिन मजदूरी कर जिस बेटे की परवरिश कर रहे हैं। सिस्टम ने तीन साल की उम्र में ही उसे मृत मान लिया है। 2019 में बेटी की शादी अनुदान के लिए पारस ने परिवार रजिस्टर की नकल निकलवाई तो बेटे जोगिंदर को मृत देखकर दंग रह गए।
जोगिंदर भी अब जवान हो चुका है। चार साल से वह पिता पारस के साथ सरकारी कार्यालयों में घूम.घूम कर खुद के जिंदा होने का प्रमाण मांग रहा है। जोगिंदर का जन्म 1996 में हुआ था। परिवार रजिस्टर में दर्ज रिकार्ड के मुताबिक वर्ष 1999 में ही उसे मृत दर्शा दिया गया। यद्यपि परिवार की तरफ से ऐसा कोई आवेदन नहीं दिया गया था।
तत्कालीन प्रधान और पंचायत सचिव ने किस आधार पर जोगिंदर को मृत दर्शा दिया इसकी जानकारी आज की तारीख में किसी के पास नहीं है। परिवार रजिस्टर में संसोधन के लिए पिता.पुत्र चार साल से भटक रहे हैं, लेकिन न्याय नहीं मिल रहा।
जोगिंदर ने बीते दिनों खंड विकास अधिकारी प्रियंका कुमारी को पत्र देकर बताया कि परिवार रजिस्टर में उसको मृत घोषित कर दिया गया है, जबकि वह जिंदा है। खंड विकास अधिकारी प्रियंका कुमारी ने बताया कि परिवार रजिस्टर से संबंधित मामले कार्यालय में आने पर उसे एडीओ पंचायत को भेज दिया जाता है।
एडीओ पंचायत से जानकारी कर ठीक कराया जाएगा। एडीओ पंचायत सुनील कुमार यादव ने बताया कि मामला संज्ञान में आया हैए संबंधित गांव के सचिव को जांच कर रिपोर्ट देने के लिए निर्देशित किया गया है।