Friday, May 3, 2024
इलाहाबादउत्तर-प्रदेश

90 के दशक में नीलामी की खुली जीप से शुरू हुआ था अतीक का सफर, लग्जरी गाड़ियों का शौकीन था माफिया…..

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

प्रयागराज। 90 के दशक में नीलामी की सरकार खुली जीप से अतीक अहमद की माफिया गिरी का सफर शुरू हुआ था। महज 17 साल की उम्र में पहला मर्डर करने वाले अतीक अहमद को एक पहचान की जरूरत थी। जो उसने 1989 में पहला विधायकी का चुनाव जीतकर हासिल की थी। मगर फिल्मी स्टाइल में लोगों पर रौब जमाने की कहानी 1995 से शुरू हुई। ड्राइवर के बगल वाली सीट बैठा अतीक अहमद अपनी मूंछ पर ताव देते हुए लोगों के दिलों में खौफ पैदा करना चाहता था।

सिर्फ इतना ही नहीं अतीक के पास एक से बढ़कर एक लग्जरी व महंगी गाड़ियों की सीरीज थी, जिसमें करोड़ों की कीमत वाली बीएमडब्ल्यू, मर्सडीज, ऑडी, लेक्सस, म्युत्सीबिशी व हमर गाड़ियां का जखीरा शामिल है। पांच विधायक और एक बार सांसद रहे अतीक अहमद की सभी गाड़ियां फर्जी नंबर पर रजिस्टर्ड हैं। इसका प्रमाण आरटीओ दफ्तर के अभिलेख खुद ही तस्दीक कर रहे हैं।

अतीक की सम्पत्तियों की तलाश में लगी जांच एजेंसियों ने जब अतीक की गाड़ियों के कागजात की तफ्तीश शुरू की, तो गाड़ियों के नंबर के आगे नो रिकार्ड फाउंड लिखकर आया। प्रयागराज आरटीओ में नीलामी की जीप को छोड़कर और कोई गाड़ी अतीक अहमद के नाम पर दर्ज नहीं है। पढ़ाई लिखाई में भले ही अतीक सफल न हुआ हो, जुर्म करके कैसे बचना है। यह उसे अच्छी तरह से आता था।

माफिया अतीक का रौब

चकिया कसारी मसारी स्थित अपने आलीशान बंगले से अतीक अहमद का काफिला जब गुजरता था, तो रोड खाली हो जाती थी। सड़क के किनारे खड़े लोगों की हिम्मत नहीं होती थी। कि वह भाई से निगाह मिला सकें। खुद अपनी लग्जरी गाड़ी में ड्राइवर की बगल वाली सीट पर हाथ में मोबाइल लिए अतीक अहमद बैठा होता था। इसके अलावा तीन गाड़ियां असलहे धारियों की होती थी। 90 किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक स्पीड पर यह गाड़ियां मेन सड़क पर हवा से बातें करती थी।

कानूनी दावं पेंच में माहिर

अतीक अहमद को कानून से बचने के सारे दांव पेंच आते थे। प्रॉपर्टी से लेकर लग्जरी गाड़ियां तक उसने अपने गुर्गों पर सगे संबंधियों के नाम ले रखी थी। सैकड़ों मुकदमों में फंसे अतीक अहमद को 2023 से पहले किसी भी मामले में दोषी नहीं ठहराया जा सका था। यहां तक कि मायावती की सरकार के समय व जेल गया और बाहर आ गया। वहीं 2016 के बाद से उसका बुरा वक्त शुरू हो गया।

जो नंबर आरटीओ कार्यालय के पोर्टल पर नहीं दिख रहे हैं, हमारे यहां दर्ज नहीं है। . राजीव चतुर्वेदी, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी

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