कच्ची उम्र में फेरे लेकर घूंघट में घुट रही आनंदी, यहां साल दर साल बढ़े बाल विवाह के मामले……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
हाल के वर्षों में बरेली जिले में बाल.विवाह के मामले बढ़े हैं। प्रशासन की टीम सिर्फ सूचना पर कार्रवाई करती है। वर्ष 2020.21 में बाल विवाह के 22 मामले सामने आए थे। 2021.22 में 25 मामले सामने आए। इनमें से टीम ने 21 शादियां रुकवाईं। 2022.23 में 35 मामलों में से चाइल्ड लाइन की टीम ने 32 शादियां रुकवाईं।
अभिभावकों में जागरूकता का अभाव भी इसके पीछे की प्रमुख वजह है। कच्ची उम्र में शादी के बाद बेटियों के सपने बिखर जाते हैं। गृहस्थी के दबाव में कई बार वे बीमार हो जाती हैं। कई तो मनमाफिक वर नहीं मिलने से जीवनभर घुटती रहती हैं।
केस.1
नवाबगंज के एक गांव में रहने वाली 15 वर्षीय किशोरी कक्षा आठ तक पढ़ी है। आठ माह पहले उसके मजदूर पिता ने उसकी शादी 24 साल के युवक से कर दी। वह दसवीं तक पढ़ा है और शहर की एक दुकान में काम करता है। शादी के बाद घर.गृहस्थी की जिम्मेदारी किशोरी को सौंप दी गई। फिलहाल वह चार माह की गर्भवती भी है। पिता का कहना है कि सही लड़का मिल गया तो शादी कर दी।
केस .2
बिल्वा की 17 साल की किशोरी की शादी, दहेज न लेने की शर्त पर 28 साल के युवक से कर दी गई। वह युवक की दूसरी शादी थी, दो साल पहले उसकी पत्नी की मौत हो गई थी। उसका दो साल का एक बच्चा भी है। शादी के बाद किशोरी की पढ़ाई पीछे छूट गई, परिवार और बच्चे की जिम्मेदारी उस पर आ गई। किशोरी की मां ने बिना दहेज की शादी को बेहतर अवसर समझकर इसके लिए हामी भरी थी।
केस. 3
किशोरावस्था में आकर्षण सामान्य बात हैए लेकिन 16 साल की मीरा और अनिमेष ;बदले हुए नामद्ध के लिए यह भारी पड़ गया। परिजनों को जैसे ही पता चला कि दोनों एक.दूसरे को पसंद करते हैंए छात्रा का नाम कटवाकर पास के गांव में रिश्तेदारी के 23 साल के युवक से उसकी शादी कर दी गई। समाज की नजरों में अच्छा बनने के प्रयास में माता.पिता ने बेटी के भविष्य का गला घोट दिया।
चाइल्ड लाइन कोऑर्डिनेटर सौरभ गंगवार ने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। कॉल आने पर टीम तुरंत सहायता के लिए पहुंचती है। इस तरह का मामला संज्ञान में आए तो आप 1098 पर कॉल करके हमें सूचित कर सकते हैं।
जिला प्रोबेशन अधिकारी नीता अहिरवार ने बताया कि बाल विवाह कानूनन अपराध है। इसे रोकने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इस तरह के मामले संज्ञान में आते हैं तो संबंधित परिवारों पर कार्रवाई की जाती है।
अब भी समाज में व्याप्त है यह कुरीति
समाजशास्त्री डॉ. कनकलता ने बताया कि कानून ने इस दिशा में काफी प्रयास किए हैं। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह कुरीति अब भी हमारे समाज का हिस्सा है। समाज में व्याप्त अशिक्षा, गरीबी और दहेज प्रथा इसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। बेटियों को यहां बोझ समझा जाता है। हर बच्चे तक शिक्षा की पहुंच ही इसे रोकने में मील का पत्थर साबित हो सकेगी।
मनोविज्ञानी यशिका वर्मा ने बताया कि कम उम्र में शादी किशोर व किशोरी दोनों पर बुरा असर डालती है। पढ़ाई की उम्र में उनको जिम्मेदारियों से बांध दिया जाना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। इससे उनका जीवन तनावग्रस्त हो जाता है। एक निर्धारित उम्र के बाद ऐसे रिश्ते सफल नहीं हो पाते।
सहायक अभियोजन अधिकारी विपर्णा गौड़ ने कहा कि बाल विवाह कानूनन जुर्म है। इसमें शामिल दोनों पक्षों के अभिभावक, रिश्तेदार, बिचौलिये, मैरिज हॉल का संचालक आदि सभी दोषी होते हैं। इसमें दो साल तक का कारावास और एक लाख रुपये तक जुर्माना हो सकता है। ऐसे कई मामले सामने भी आए हैं।