चकियाः इस वर्ष नहीं टूटेगी 106 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक परंपरा, दो वर्ष से था बंद, नगर प्रशासन तैयारी में जुटा……..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
दो वर्ष बाद पुनः आयोजित करेगा नगर पंचायत कजरी महोत्सव
कोरोना के लहर के बीच बंद हुआ था ऐतिहासिक परंपरा
तीन दिवसीय ऐतिहासिक मेला की तैयारी में जुटे लोग
-राम आशीष भारती
चकिया, चंदौली। दो वर्ष के बाद एक बार फिर से हेतिहासिक परंपराएं अपनी विरासतों को दोहरायेगी। जो कोरोना काल में इन ऐतिहासिक परंपराओं पर विराम लग चुका था। पिछले वर्ष कोरोना के साये में ही कुछ जायरिनों ने बाबा दरगाह पर पहुंचकर मत्था टेका था। लेकिन नगर प्रशासन द्वारा मेला तथा अन्य किसी प्रकार का आयोजन करने पर प्रतिबंध किया गया था। लेकिन इस वर्ष परंपरा के तहत तीन दिवसीय मेला सहित श्री कृ़ष्ण के बरही के उपलक्ष्य में कजरी महोत्सव का भी आयोजन किया जायेगा। जिसे लेकर नगर पंचायत प्रशासन पूरी तरह तैयारियों में जुट गया है।
क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत के रूप में प्रसिद्ध बाबा लतीफशाह के तीन दिवसीय ऐतिहासिक मेले का इस वर्ष आयोजन किया जायेगा। तीन दिवसीय मेले के दौरान बाबा की मजार, चकिया नगर, बरहुआ गांव, सोनहुल गांव, सिकंदरपुर में विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन किये जाते हैं। मेले के दूसरे दिन व श्रीकृष्ण के बरही के उपलक्ष्य में उपजिलाधिकारी आवास परिसर स्थित वट वृक्ष के नीचे कजरी महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है। जिसमें जनपद सहित अन्य जनपदों के कलाकार सहित कजरी प्रेमी सिरकत करते हैं। मेला सहित कजरी महोत्सव को लेकर नगर पंचायत प्रशासन पूरी तरह तैयारियों में जुट गया है। पहले दिन मेला बाबा लतीफशाह के मजार पर लगेता है तो वहीं दूसरे दिन मेला चकिया नगर के गांधी पार्क, महाराजा का किला, कचहरी परिसर, मां काली जी का पोखरा परिसर तथा पोखरे के सामने स्थित परिसर में लगता है। मेले के दूसरे दिन 106 वर्षों से आयोजित होने वाले ऐतिहासिक कजरी महोत्सव का आयोजन नगर पंचायत की ओर से किया जाता है। इस संबंध में अधिशासी अधिकारी मेही लाल गौतम ने बताया कि कजरी महोत्सव प्रतियोगिता पिछले दो वर्ष से कोरोना के चलते बंद था। लेकिन इस वर्ष परंपरा के तहत श्रीकृष्ण के बरही के उपलक्ष्य में कजरी प्रतियोगिता होगी। प्रतियोगिता में पहले, दूसरे और तीसरे स्थान प्राप्त करने वाले गायकों को प्रमाण पत्र और शील्ड देकर सम्मानित किया जाएगा। मेले के पहले दिन बरहुंआ गांव में, दूसरे दिन सोनहुल गांव में, तीसरे दिन चकिया मां काली जी के पोखरे पर तथा चौथे दिन सिकंदरपुर में कुश्ती दंगल का आयोजन किया जाएगा।