इस शहर पर मंडरा रहा 1880 के भूस्खलन जैसा बड़ा खतरा……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
नैनीताल। सरोवर नगरी नैनीताल में खतरे का अलार्म बज रहा है। राजभवन की पहाड़ी से निहालनाला तक के निचले इलाके में खनन व मनमाने निर्माण से हालात इस कदर बदतर हो गए हैं कि तत्काल ठोस पहल नहीं की गई तो पूरा शहर ही खतरे में पड़ जाएगा।
असल में बलियानाला, चायना पीक, टिफिनटाप व नैना पीक के साथ ही सात नंबर समेत अन्य संवेदनशील पहाड़ियों पर लगातार भूस्खलन व दरार चौड़ी होने लगी है। इससे यहां वर्ष 1980 जैसा खतरा फिर मंडराने लगा है। तब अल्मा पहाड़ी का बड़ा हिस्सा झील में समा गया थाए जिसकी चपेट में आकर देखते ही देखते 43 ब्रिटिश नागरिकों समेत 151 लोगों की मौत हो गई थी।
ब्रिटिश शासकों ने इस विनाशकारी भूस्खलन के बाद शहर को दोबारा संवारने की कोशिश की। लेकिन बाद के दिनों में उनके प्रयासों को दरकिनार कर मनमानी निर्माण, अतिक्रमण व आसपास के क्षेत्रों में खनन शुरू कर दिया गया। इससे 24 जुलाई को फिर उसी अल्मा पहाड़ी पर बड़ा भूस्खलन हुआ। उसकी चपेट में कई मकान भी आ गए। इससे प्रशासन सबक लेता कि शुक्रवार दोपहर में नैनीताल.भवाली रोड पर भी भूस्खलन शुरू हो गया।