चकिया के इस जंगल में वन कर्मी के मिली भगत से कराया जाता है वनों का दोहन, आलाधिकारी मौन……ग्रामीणों ने लगाया आरोप……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
चकिया, चंदौली। जहां एक तरफ वन विभाग लाखों की संख्या में जंगलों को हरा, भरा करने के लिए प्रतिवर्ष पौधों का रोपण भारी भरकम धनराशि खर्च कर करता है। तो वहीं दूसरी तरफ वन विभाग के ही कर्मचारियों की मिलीभगत से जंगलों की कटाई भी कराई जाती है। हालांकि इस पर वन विभाग के आला अधिकारियों का ध्यान नहीं जा पाता है। जिससे यह धंधा बराबर चलता रहता है। यह आरोप ग्रामीणों ने रविवार को मीडिया के सामने लगाया।
हम बात कर रहे हैं स्थानीय विकास खंड अंतर्गत बैरा गांव की। बैरा गांव के जंगल में हजारों की संख्या में बड़े-बड़े पेड़ों की कटाई कर दी गई है। जिससे जंगल पूरी तरह ठूंठ का रूप धारण कर चुका है। स्थानीय ग्रामीण व महादेवपुर खुर्द के राम भवन मौर्या व महादेवपुर कला गांव के दुलारे राम ने आरोप लगाते हुए बताया कि इन हरे पेड़ों की कटाई क्षेत्र के वाचर मुरारी मौर्य द्वारा ही बैरा के वनवासी समाज के लोगों से कराई जाती है। जिसका सौदा प्रति पेड़ वाचर द्वारा निर्धारित किया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि यह धंधा अरसे से पूरी तरह फल फूल रहा है। यहां तक विभाग के आलाधिकारियों का ध्यान नहीं जा पाता है। ताकि वह इस तरह के अवैध धंधों पर रोक लगा सकें। यही नहीं ग्रामीणों ने बताया कि हरे पेड़ों को काटकर करीब सप्ताह भर जंगल में ही छोड़ दिया जाता है। जब वह पेड़ पूरी तरह से सूख जाता है तो उन्हें ऊंचे दामों पर बाजारों में ले जाकर बेचने का कार्य किया जाता है। ग्रामीणों ने बेबाक होकर बताया कि यह कार्य मिलीभगत से ही संभव है। लेकिन वह इस पर आज तक कभी भी रोक नहीं लगा सके। और ना ही इसकी सूचना वन विभाग के आलाधिकारियों को दे सके हैं। इससे प्रतीत होता है कि इनके ही मिलीभगत से वनों का दोहन कराया जा रहा है। ग्रामीणों ने जंगल में खुद जाकर कटे हुए पेड़ों को मीडिया को दिखाया। और कहा कि वन विभाग जैसे तैसे वनों को हरा भरा व शुद्ध पर्यावरण के लिए लाखों पौधों का रोपण करता है तो वही वन विभाग का ही कर्मचारी वनों का दोहन भी कराने पर तुला हुआ है।