इतने साल बाद मिलेगा रंजीत के परिवार को इंसाफ, कुछ ही देर में डेरा मुखी की सजा पर फैसला……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
कुरुक्षेत्र। रंजीत हत्याकांड मामले में कुछ ही देर में फैसला आ जाएगा। परिवार को 19 साल बाद इंसाफ मिलेगा। रंजीत हत्याकांड में डेरा मुखी सहित पांचों आरोपितों को दोषी करार दिए जाने के बाद अब उनको सजा का इंतज़ार है। न्याय के लिए परिवार की तीन पीढ़ियों ने लंबी लड़ाई लड़ी और आखिर उनकाे न्याय पर भरोसा पूरा होता नजर आ रहा है। रंजीत सिंह कुरुक्षेत्र के गांव खानपुर कोलिया का था।
रंजीत की पत्नी रानी ने बताया कि 10 जुलाई 2002 को उसके पति रंजीत सिंह खेत में चाय देने के लिए गए थे। जीटी रोड से करीब तीन एकड़ दूर गन्ने के खेत में डेरा मुखी राम रहीम के चार लोग बैठे थे। खेतों काे जाने वाले कच्चे रास्ते पर पानी आने से फिसलन बन गई थी। गन्ने के खेत में छुपकर बैठे डेरा मुखी के नजदीकियों ने उसको माथे और मुंह में तीन गोली मारी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज तो किया। लेकिन जांच ठीक तरीके से नहीं की।
10 जुलाई 2002 को की थी हत्या
10 जुलाई 2002 का दिन परिवार के लिए काला साबित हुआ। 12 अगस्त को अंतिम बहस हुई। जसतेज ने बताया कि इस मामले में 12 अगस्त को बचाव पक्ष की अंतिम बहस पूरी हुई थी।
तीन लोगों ने दी थी रणजीत सिंह केस में गवाही
रणजीत सिंह हत्याकांड में तीन गवाह महत्वपूर्ण रहे। इनमें दो चश्मदीद गवाह सुखदेव सिंह और उनके पिता जोगिंद्र सिंह। उनका कहना था कि उन्होंने आरोपितों को रणजीत सिंह पर गोली चलाते हुए देखा था। इस मामले में तीसरा गवाह गुरमीत का ड्राइवर खट्टा सिंह था। उसने अपने ब्यानों में बताया था कि उसके सामने रणजीत को मारने की साजिश रची थी। हालांकि खट्टा सिंह एक बार अदालत के सामने मुकर गया। उसने कई साल बाद कोर्ट में पेश होकर गवाही दी। इस मामले में उसकी गवाही दोषी करार देने में सबसे महत्वपूर्ण मानी गई।