Saturday, April 20, 2024
उत्तर-प्रदेशलखनऊ

मैं कोतवाल के उत्पीड़न से परेशान हूं, मानसिक तनाव से गुजर रहा, वाट्सएप में सिपाही ने पत्र डाल दिया इस्तीफा……

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

उरई। पुलिस महकमे में सिपाहियों को किस हद तक आंतरिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है इसका उदाहरण उरई कोतवाली में देखने को मिला है। कंप्यूटर ऑपरेटर आरक्षी पद तैनात एक कर्मी नौकरी से त्याग पत्र देने को विवश हो गया।

उसका आरोप है कि कोतवाल द्वारा उसका लगातार उत्पीड़न किया जा रहा है। जिसकी वजह से वह मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहा है। उसने अपना त्याग पत्र पुलिस अधीक्षक को सौंप दिया। एसपी ने पूरे मामले की जांच का आदेश दिया है। मूलत महोबा जिले के सुभाष नगर के रहने वाले आरक्षी अरविंद किशोर गोस्वामी ने आरोप लगाया कि कोतवाल विनोद कुमार पांडेय उसे बहुत प्रताड़ित कर रहे हैं। बिना किसी गलती के उसे टारगेट करते हुए पांच बार रपट भी लिख चुके हैं और फर्जी गोपनीय रिपोर्ट भी भेज चुके हैं ।

उसने अपने साथ हो रही ज्यादती की शिकायत उच्चाधिकारियों से भी की लेकिन उसे कोई न्याय नहीं मिला है। शहर कोतवाल विनोद कुमार पांडेय की प्रताड़ना से परेशान होकर वह नौकरी से त्यागपत्र दे रहा है। उसने कहा कि वह अकेला नहीं है जो कोतवाल के रवैये से परेशान है। कुछ सब इंस्पेक्टर कोतवाल से परेशान होकर अपना स्थानांतरण करा के अन्य थानों में पोस्टिंग करा चुके हैं। अनुशासन की वजह से कोई मुखर विरोध नहीं कर सका।

दो साल से किया जा रहा परेशान कंप्यूटर ऑपरेटर अरविंद किशोर ने बताया कि वर्ष 2019 में लोक सभा चुनाव में वह चुनाव सेल में तैनात था। वर्तमान शहर कोतवाल विनोद कुमार पांडेय तब चुनाव सेल के प्रभारी थे। उसी दौरान किसी बात को लेकर प्रभारी निरीक्षक विनोद कुमार पांडेय से कहा सुनी हो गयी। तभी से वे उसे टारगेट किए हुए हैं। शहर कोतवाल बनने के बाद वे उसी बात को लेकर उसे परेशान करने लगे। निष्ठा से काम करने के बावजूद द्वारा उनको परेशान किया गया।

प्राइवेट नौकरी करना चाहता हैः अरविंद किशोर वर्ष 2014 में पुलिस विभाग में भर्ती हुआ। उसकी पहली पोस्टिंग प्रयागराज में हुई। वर्ष 2018 में जालौन स्थानांतरित हुआ। चुनाव सेल में तैनाती के दौरान उनका चुनाव सेल प्रभारी विनोद कुमार पांडेय से विवाद हो गया। बाद में उसका स्थानांतरण उरई कोतवाली हो गया। जब विनोद कुमार पांडेय उरई कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक बन गए तो उसे संदेह था कि पुरानी टशन की वजह से उसका उत्पीड़न किया जाएगा। निजी कारण बताकर उसने अधिकारियों से अपना स्थानांतरण कहीं और करने की गुजारिश की, परंतु अधिकारियों ने उसकी बात नहीं सुनी। जिसकी वजह से वह त्याग पत्र देने को विवश हुआ। अपने गुजारे के लिए वह प्राइवेट नौकरी करेगा।

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