Monday, May 6, 2024
आगराउत्तर-प्रदेश

बंदर ले भागा इतने लाख का हार, सराफा बाजार में मची…..

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

आगरा। आगरा के सराफा बाजार में अजब वाकया हुआ। एक बंदर के पीछे.पीछे लोगों की भीड़। बंदर कभी इस छत पर तो कभी उस छत पर। जहां वो जाए वहीं लोग हाथ में खाने का सामान तो कुछ डंडा लिए भागें। तमाशबीनों की भी भीड़ लग गई। काफी देर तक तो माजरा समझ ही नहीं आया। जब बात पता चली तो लोग भी हैरान रह गए। दरअसल ये बंदर एक महिला के हाथ से डेढ़ लाख रुपये की कीमत का सोने का हार ले भागा था।

आगरा के थोक सराफा बाजार चौबे जी का फाटक में ये घटना शुक्रवार शाम की है। जब बंदर एक महिला के हाथ से करीब डेढ़ लाख रुपये कीमत का सोने का हार छीनकर भाग निकला। करीब साढ़े चार बजे एक महिला चौबेजी के फाटक स्थित दुकान से हार लेकर निकली तभी एक बंदर उनके हाथ से आभूषण का बैग लेकर भाग गया। महिला के शोर मचाने पर दुकानदार एकत्र हो गए। बंदर से हार वापस लेने के प्रयास किए गए। उसे बिस्कुट, केला और फ्रूटी दी गई, लेकिन बंदर एक जगह से दूसरी जगह भागता रहा। सराफा कारोबारियों ने बताया कि करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बंदर ने हार का बैग छोड़ा।

एक सप्ताह पहले कैश का बैग ले गया था बंदर

बाजार में बंदरों का आतंक है आए दिन इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं। सराफा कारोबारी रिंकू बंसल ने बताया कि करीब एक सप्ताह पहले जब वो दुकान पर आए तो अपनी एक्टिवा से सामान निकाल रहे थे। तभी बंदर उनका कैश का बैग उठाकर ले गया। उन्होंने बड़ी मशक्कत के बाद अपना बैग वापस लिया।

मथुरा और वृंदावन में भी जबरदस्‍त आतंक

आगरा ही नहीं बल्कि मथुरा और वृंदावन में भी बंदरों का जबरदस्‍त आतंक है। यहां दर्शन को आए श्रद्धालुओं के सामान को छीनकर बंदर भाग जाते हैं। एक बार तो बंदर व्‍यक्ति का चश्‍मा उतारकर भाग गया था। बांकेबिहारी मंदिर के पास बंदरों के आतंक को देखते हुए दुकानदारों ने सचेत करने के बोर्ड भी लगा रखे हैं।

बने प्रस्‍ताव लेकिन नहीं बढ़े आगे

आगरा में बंदरों के आतंक के चलते कई लोगों की जान जा चुकी है। बीते साल घटिया आजम खां क्षेत्र में मकान मालिक मजदूरों से पुराने मकान की छत पर निर्माण कार्य करा रहे थे। तभी बंदरों की टोली गुजरी और नई बनी दीवार पर उछल कूद करने लगी। दीवार भरभराकर गिरी, इसकी चपेट में आकर मकान मालिक की मृत्‍यु हो गई। कई बार प्रशासन को शिकायत की जा चुकी है। बंदरों को पकड़कर जंगल में छुड़वाने, नसबंदी कराने जैसे प्रस्‍ताव बन चुके हैं लेकिन उन पर अमल आज तक नहीं हो पाया है।

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