चकियाः इस गांव की रहने वाली डाली मौर्या की मौत को डा. नूतन ठाकुर ने लिया संज्ञान में…..एडीजी जोन को पत्र लिखकर की कार्यवाही की मांग….
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
चंदौली। अकोढ़वा की डाली मौर्या मौत प्रकरण को पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्नी डा. नूतन ठाकुर ने संज्ञान में लिया है। उन्होंने एडीजी जोन वाराणसी को लिखे खत में मौत को हत्या करार दिया। साथ ही मौत से जुड़े तथ्यों को बिंदुवार पत्र में उल्लिखित करते हुए पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता जताई। ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वास्तव में हत्या हुई है या नहीं। इस मामले में कौन.कौन से अपराध किनके द्वारा किए गए है यह उजागर हो सके। कहा कि पीड़ित परिवार को दबाव में रखा गया है। साथ ही पुलिस रसूखदार नेताओं के कारण कोई कार्यवाही नहीं कर रही है।
डाण् नूतन ठाकुर ने लिखा कि 12 जून को डाली को साइकिल से बैंक जाने की बात कही गयी हैए जबकि उस दिन द्वितीय शनिवार थाए लिहाजा उस दिन कोई बैंक नहीं खुला था। डाली अपने गांव अकोढवा से निकली और थाना सुकृत में बदहवासी की हालत में मिली। दोनों स्थानों के बीच 60 किमी की दूरी है। ऐसे में इतनी दूर जाने का कोई कारण नहीं स्पष्ट होता है। कहा कि कथित रूप से सुकृत पुलिस ने डाली को सोनभद्र अस्पताल में भर्ती करायाए लेकिन थाना सुकृत में कोई लिखा.पढ़ी नहीं की गयी ना ही कोई रिकार्ड थाने में है। जो अपने आप में एक गंभीर प्रश्न है। कहा कि जिला अस्पताल सोनभद्र के अभिलेखों में काफी हेरफेर व गड़बड़ी की आशंका है। जिला अस्पताल सोनभद्र के चिकित्सक ने बिना पोस्टमार्टम के मृत्यु का कारण विष लिखा है जो पूरी तरह से विधि.विरूद्धए अनियमित व त्रुटिपूर्ण है और एक गंभीर षड्यंत्र की ओर इशारा करता है। इतना ही नहीं विष से मृत्यु की आशंका होने के बाद भी पंचनामा व पोस्टमार्टम नहीं कराने के लिए चिकित्सक व पुलिस कर्मी जिम्मेदार हैं। चिकित्सक ने 16 वर्षीय किशोरी की उम्र 19 लिखा है जो संदेह उत्पन्न करता है। आरोप लगाया कि डाली की विष से मौत नहीं हुई। बल्कि उसकी हत्या की गयी है जिसमें चंदौली के कतिपय ताकतवर राजनैतिक लोग शामिल है। जिनके द्वारा किशोरी के परिजनों को पूरी तरह अपने अरदब में ले लिया गया है। वहीं स्थानीय पुलिस भी मूकदर्शक बनी है। उन्होंने कहा कि मौत से जुड़े तथ्यों को थाने में लिपिबद्ध नहीं किया जाना और साक्ष्य को नष्ट किए जाने का प्रयास किया गया है। इसके अलावा जानबूझ कर अपने दायित्वों के विपरीत कार्यवाही करना एक अपराधिक कृत्य है। उक्त प्रकरण में पीड़ित परिवार को जांच के बाद न्याय दिलाया जाए।