प्रसव के लिए उधार लिए 10 हजार रुपये, चुकता न करने पर 30 रुपये में दे दिया नवजात, दर्द भरी है इस परिवार की कहानी…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
मुरादाबाद। उधार की रकम के बदले अपने ही लख्ते जिगर की तकदीर लाचार मां.बाप ने तीस रुपये के स्टांप पर लिख दी। नवजात ऐसे दंपती के सुपुर्द कर दिया गया, जो खुद दिव्यांग हैंं। एक माह की रस्साकशी के बाद बच्चे के स्वामित्व का विवाद मझोला थाने पहुंचा है। पुलिस ही नहीं बल्कि बाल कल्याण समिति भी प्रकरण के पटाक्षेप में जुटी है। सभी की नजर पुलिस व न्यायपीठ के रुख पर टिकी है।
मझोल थाना प्रभारी अजय पाल सिंह के मुताबिक थाना क्षेत्र में गागन फाजलपुर की रहने वाली बबिता ठाकुर हाथ से दिव्यांग है। उसका पति अजय पैर से दिव्यांग है। बुधवार को एक माह का बच्चा साथ लेकर एक महिला मझोला थाने पहुंची। तहरीर देकर बताया कि एक माह पहले जिस बच्चे को उसने जन्म दिया थाए अब उससे जुदा किया जा रहा है। गोदनामा के रूप में 30 रुपये के स्टांप पर लिखे दोनों पक्षों की आपसी सहमति से भरा कागजात भी महिला ने थाना प्रभारी को दिखाया। तब पुलिस ने बच्चे के असल मां.बाप से संपर्क किया। बबिता ठाकुर के पड़ोस में किराए की मकान में रहने वाले बच्चे के असल माता.पिता आटो चालक मुन्ना शर्मा व उनकी पत्नी पूजा शर्मा को थाने बुलाया गया। पूछताछ में दंपती ने बताया कि वह आर्थिक रूप से कमजोर हैं। 16 दिसंबर को महिला को प्रसव हुआ। प्रसव के लिए महिला ने बबिता शर्मा से 10 हजार रुपये उधार के रूप में लिया। प्रसव बाद महिला को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। इसके बाद बबिता उसके घर आने लगी। बच्चे को खिलाने के बहाने वह अपने साथ ले जाने लगी। बुधवार को बबिता व उसका पति किराए के मकान खाली कर रहे थे। इस दौरान बबिता आंख में धूल झोंक कर महिला एक माह के कृष को साथ लेकर थाने चली आई। महिला ने बच्चा गोद देने से इन्कार किया। तब थाना प्रभारी ने प्रकरण की तह तक जाने की जिम्मेदारी महिला उपनिरीक्षक को दी। पुलिस की जांच जारी है। इस बीच बच्चा चाइल्ड लाइन के सुपुर्द कर दिया गया। चाइल्ड लाइन की समन्वयक श्रद्धा शर्मा ने बताया कि बच्चा बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। समिति ने 24 घंटे के लिए बच्चे को चाइल्ड लाइन में रखने का आदेश दिया है।