सीटें बदलते ही बदल गए समीकरण, पहले चरण में कौन करेगा ‘खेला’? ये है पूरा लेखा-जोखा…..
पटना। Bihar Political News in Hindi । बिहार में सात चरणों में लोकसभा का चुनाव हो रहा है। पहले चरण में जिन चार संसदीय क्षेत्रों (गया, औरंगाबाद, नवादा, जमुई) में 19 अप्रैल को मतदान होना है, वे नक्सल प्रभावित हैं। इनमें गया और जमुई सुरक्षित क्षेत्र हैं।
इन चारों संसदीय क्षेत्रों में इस बार संघर्ष का दृश्य पिछली बार से कुछ अलग ही है। कहीं आमने-सामने के प्रत्याशी बिल्कुल ही नए हैं तो कहीं परिवारवाद की नई पटकथा लिखी जा रही।
इन सबके साथ महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि दोनों गठबंधनों (राजग और महागठबंधन) में दूसरे क्रमांक वाली पार्टियां क्रमश: जदयू और कांग्रेस पहले चरण के मैदान में हैं ही नहीं।
पिछली बार आमने-सामने के मुकाबले का लाभ राजग को मिला था। चारों सीटें उसकी झोली में गई थीं। औरंगाबाद में भाजपा व गया में जदयू विजयी रहा था। जमुई और नवादा लोजपा के खाते में गए थे।
इस बार समझौते में सीटें इधर-उधर हुई हैं। समीकरण में भी कुछ परिवर्तन है और संघर्ष करने वाले अधिसंख्य चेहरे बदले हुए हैं तो मंझे हुए खिलाड़ी मैदान में बने हुए भी हैं।
पार्टी और गठबंधन में पाला बदल भी हुआ है। इसके अलावा नारे-वादे भी कुछ परिवर्तित हो गए हैं। ऐसे में पहले चरण का रण काफी रोचक हो गया है।
औरंगाबाद में चौथी जीत होगी या नया इतिहास बनेगा
बिहार में चित्तौड़गढ़ उपनाम वाले औरंगाबाद में सुशील कुमार सिंह इस बार भी भाजपा के प्रत्याशी हैं। पिछले तीन चुनावों से वे यहां जीत रहे और इस बार चौथी जीत के लिए प्रयासरत हैं।
मुकाबला करने वाले महागठबंधन में हर बार प्रत्याशी बदल जा रहा है। इस बार जदयू छोड़कर आए अभय कुशवाहा राजद के प्रत्याशी हैं।
2019 में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा से उपेंद्र प्रसाद आखिरी क्षण में प्रत्याशी घोषित हुए थे। 2014 में कांग्रेस से निखिल कुमार थे।
कांग्रेस की इस परंपरागत सीट के लिए निखिल कुमार इस बार आस लगाए ही रह गए। 2009 में राजद और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़े थे, तब भी विजेता सुशील कुमार सिंह ही थे। नया इतिहास लिखने की ललक में राजद यहां के मैदान में उतरा है।
गया में हार की हैट्रिक बनेगी या जीत का रिकार्ड
पिछली बार भाजपा ने अपनी यह सीट जदयू को दे दी थी और इस बार हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को। राजग से महागठबंधन और फिर राजग में आकर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपनी पार्टी हम से यहां प्रत्याशी हैं। पिछले दो चुनावों में वे मात खा चुके हैं।
2014 में जदयू के टिकट पर और 2919 में हम प्रत्याशी के रूप में। 2014 में तो वे तीसरे पायदान पर रहे थे और 2019 में निकटतम प्रतिद्वंद्वी।
पिछली बार हम महागठबंधन का घटक था। जीत जदयू के विजय मांझी को मिली थी। इस बार मांझी के मुकाबले राजद से पूर्व मंत्री सर्वजीत हैं। सर्वजीत के लिए संसदीय चुनाव का यह पहला अनुभव है।
जमुई के लिए इस बार नया अनुभव है
जमुई में पिछला दो चुनाव लोजपा के चिराग पासवान जीते हैं। इस बार वे हाजीपुर चले गए हैं और जमुई को अपने बहनोई अरुण भारती के हवाले कर गए हैं।
अरुण पूर्व मंत्री कुमारी ज्योति के पुत्र हैं, जो लोजपा में परिवारवाद की नई पटकथा लिख रहे। किसी पार्टी के नेता द्वारा अपने बहनोई को चुनावी मैदान में लाने का यह पहला उदाहरण है।
मुकाबले में महागठबंधन में राजद से अर्चना रविदास हैं। दोनों के लिए यह पहला चुनावी अनुभव है। पिछली बार रालोसपा से भूदेव चौधरी यहां दूसरे स्थान पर रहे थे और नोटा तीसरे स्थान पर। 2014 में राजद के सुधांशु शेखर को दूसरा स्थान मिला था।
नवादा में उभरता दिख रहा तीसरा कोण
इस बार लोजपा से भाजपा ने यह सीट वापस ले ली है। 2019 में बाहुबली सूरजभान के भाई चंदन सिंह लोजपा से विजयी हुए थे। 2014 में यहां से भाजपा के फायरब्रांड गिरिराज सिंह सांसद बने थे।
दोनों बार राजद दूसरे स्थान पर रहा था। पिछली बार विभा देवी उसकी प्रत्याशी थीं और 2014 में उनके पति राजबल्लभ प्रसाद। राजद ने यहां से राजबल्लभ परिवार को अलग कर दिया है और भाजपा ने लोजपा को।
श्रवण कुशवाहा राजद के प्रत्याशी हैं। मुकाबले में भाजपा से राज्यसभा सदस्य विवेक ठाकुर हैं। दोनों पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे। उनके साथ तीसरा कोण बनाने के लिए विनोद यादव उतर आए हैं, जो राजबल्लभ के भाई हैं और राजद से टिकट के दावेदार थे।