Tuesday, May 7, 2024
बिहारलोकसभा चुनाव 2024

मतदान के लिए नाव ही सहारा, प्रशासन के लिए भी चुनौती, इस जिले में 90 हजार मतदाता नदी पार कर देते हैं वोट……

 पटना। Saharsa News: उत्तर बिहार के जिलों में लगभग एक हजार मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां पहुंचने के लिए मतदाताओं को नाव का सहारा लेना होता है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे मतदान केंद्रों की संख्या में कमी आई है। मतदान प्रभावित नहीं हो इसके लिए प्रशासन की चुस्त-दुरुस्त व्यवस्था रहती है, लेकिन सामान्य दिनों में आमजन की परेशानी को महसूस किया जा सकता है।

वहीं, मतदाताओं का कहना है कि हर बार समाधान होने की उम्मीद में मतदान करते हैं, लेकिन इंतजार का अंत नहीं हो रहा है। कुछ का कहना है कि भौगोलिक स्थिति नाव पर निर्भर होने को मजबूर करती है। सहरसा सदर के एसडीओ प्रदीप कुमार झा ने बताया कि मतदान केंद्र तक जाने के लिए पर्याप्त संख्या में सरकारी नाव सहित सभी व्यवस्था उपलब्ध कराई जाती है। मतदाता और मतदान कर्मी दोनों का विशेष ध्यान रखा जाता है।

कोसी दियारा में नाव से सफर करते लोग

खगड़िया, कटिहार और मुंगेर में भी नाव ही सहारा खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड की चेराखेड़ा, आनंदपुर मारन पंचायत, मानसी प्रखंड की हियादपुर, चौथम प्रखंड की सोनवर्षा नोनहा, बेलदौर प्रखंड की इतमादी में नदी पारकर मतदानकर्मी जाते हैं।

मुंगेर जिले में गंगा पार दियारा क्षेत्र में 66 बूथ हैं। इसमें झौवा बहियार, हरिणमार पंचायत और सीताचरण गांव में मतदान कर्मी नाव से ही मतदान कराने जाते हैं। हालांकि हरिणमार, झौवाबहियार और टीकारामपुर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग भी है, लेकिन यहां खगड़िया जिला होकर पहुंचना पड़ता है।

कुतुलपुर गांव जाने के लिए बेगूसराय जिले के साहेबपुर कमाल प्रखंड से सड़क मार्ग है। श्रीकृष्ण सेतु के बनने के बाद इन गांव में सड़क मार्ग बहाल हो गया है, पर तीन पंचायतों में जल्द पहुंचने के लिए इस बार भी मतदान कर्मी नाव से पहुंचेंगे। कटिहार के प्राणपुर प्रखंड के धबोल गांव के ग्रामीण नाव से नदी पार कर मतदान केंद्र तक पहुचते हैं।

पीपा पुल बनने से कई पंचायतों को मिली राहत

पश्चिम चंपारण के बगहा में गंडक पार की आठ पंचायतों के बूथों पर मतदान टेढ़ी खीर है। मधुबनी, ठकराहां, पिपरासी व भितहा प्रखंडों की आठ पंचायतों के बूथों पर नदी पार कर ही जाया जा सकता है। चुनाव कर्मियों को बूथ पर पहुंचाने के लिए नाव की व्यवस्था की जाती है। पिपरासी प्रखंड की बलुआ ठोरी पंचायत गंडक नदी से सटी है। यहां लगभग 3500 मतदाता हैं। सात वार्डों में विभक्त यह पंचायत दो नदियों के दोआब में है।

मधुबनी में भी नाव से वोट देने जाते हैं लोग

मधुबनी की सिसई पंचायत के वार्ड संख्या एक में लोकसभा व विधानसभा चुनाव के दौरान चलंत मतदान केंद्र बनाया जाता है। मतदाता व मतदान दल के कर्मी भी नाव के सहारे ही आवागमन करते हैं। ठकराहां की मोतीपुर तथा श्रीनगर पंचायत के भगवानपुर गांव स्थित मतदान केंद्रों पर जाने के लिए पीपा पुल का सहारा लेना पड़ता है। पीपा पुल के सहारे नदी पार करने के बाद ट्रैक्टर-टेलर से बूथ पर जाना होता है।

बेतिया के 11 बूथों के लिए नाव अनिवार्य

बेतिया के तीन प्रखंड योगापट्टी, नौतन और बैरिया में दियारा क्षेत्र है। यहां के करीब 11 बूथों पर नाव से नदी पार कर लोग मतदान करने जाते हैं। दरभंगा जिले के कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड की उजुआ सिमरटोका पंचायत के गइजोरी गांव के मतदाता को कोसी नदी की उपधारा पार कर मतदान करने के लिए मध्य विद्यालय सिमरटोका जाना पड़ता है। यहां लगभग 1200 मतदाता हैं।

हायाघाट की मल्हीपट्टी दक्षिणी पंचायत के मोहम्मदपुर सिरनियां वार्ड संख्या पांच व छह के लगभग 950 मतदाता सिरनियां घाट स्थित अधवारा समूह की नदी को पार कर वोट डालने जाते हैं।

महिषी के 133 केंद्रों में 58 नाव पर निर्भर कोसी के दोनों तटबंधों के बीच बसे सहरसा जिले के 90 हजार से अधिक मतदाताओं को मताधिकार का प्रयोग करने के लिए नाव ही सहारा है। मधेपुरा लोकसभा के महिषी विधानसभा क्षेत्र के 133 मतदान केंद्रों में से 58 पर पहुंचने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है।

इसमें महिषी प्रखंड के झाड़ा, वीरगांव, सिसौना, कुंदह, भेलाही और नवहट्टा प्रखंड के केदली, नारायणपुर आदि गांव प्रमुख हैं। खगड़िया लोकसभा क्षेत्र के सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र के 78 में से 33 मतदान केंद्र के मतदाता पूरी तरह नाव के भरोसे हैं। सुपौल के 73 मतदान केंद्र कोसी तटबंध के अंदर हैं। इनमें 33 केंद्र ऐसे हैं, जहां नदी पार कर जाना पड़ता है। छह मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां दो नदियों को पारकर पहुंचना पड़ता है।

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