पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी के जेल में आए हार्ट अटैक के बाद अस्पताल में मौत हो गई। खबर सुनते ही हड़कंप मच गया है। यूपी के कई जिलों में पुलिस अलर्ट मोड में आ गई है। मुख्तार अंसारी की मौत के बाद पुलिस प्रशासन हाई अलर्ट पर रहा। गाजीपुर में डीआईजी डॉ. ओपी सिंह समेत आलाधिकारी देर रात तक भ्रमण करता रहे। आसपास के इलाके में वे गाड़ियों को लेकर घूम रहे थे। पुलिस भी चप्पे-चप्पे पर तैनात कर दी गई थी। वहीं, लोग घरों से ताकते रहे। मऊ, गाजीपुर और बांदा जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है।
गाजीपुर मेंरात करीब एक बजे अधिकारी सांसद अफजाल अंसारी के घर से चार सौ मीटर दूर कब्रिस्तान भी देखने गए। वहीं, घर के समीप सब्जी मंडी को भी देखा। माना जा रहा है कि शनिवार को सब्जी मंडी और बाजार बंद रहेगी।
दूसरी तरफ, मुख्तार के भाई सांसद अफजाल अंसारी प्रचार के सिलसिले में सैदपुर इलाके में गए थे। जहां से वे मुख्तार अंसारी के फिर बीमार होने और अस्पताल ले जाने के बाद सीधे घर आए। शुभचिंतकों के मुताबिक, वह घर में गए और फिर बाहर नहीं निकले। हालांकि, उनके भतीजे व विधायक सोहेब अंसारी बार-बार अंदर बाहर आ रहे थे।
मुख्तार तीन बार जेल में रहते जीता चुनाव
मुख्तार पहली बार मऊ सदर विधानसभा से 1996 में बसपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचा था। इसके बाद 2002 और 2007 में निर्दल विधायक बना। फिर, कौमी एकता दल के नाम से अपनी नई पार्टी बनाया और 2012 का विधानसभा चुनाव जीता। वर्ष 2017 में मुख्तार अंसारी बसपा से चुनाव जीता। विधानसभा के आखिरी तीन चुनाव वह जेल में रहते हुए जीता।
जिंदा देखने न दिया, कंधा के लिए भेजा बुलावा’
मुख्तार का एक बेटा अब्बास इस वक्त कासगंज जेल में सजा काट रहा है तो दूसरा और छोटा बेटा उमर अब्बास दो दिन पहले ही मेडिकल कॉलेज पिता को देखने आया था। परिवार के करीबियों ने बताया कि जैसे ही उमर को प्रशासन की ओर से उसके पिता की मौत की सूचना दी गई वह धड़ाम से अपनी कुर्सी पर गिर पड़ा। करीबियों के मुताबिक उमर कुछ ही देर में बांदा पहुंच भी जाएगा। उसने भरे गले से कहा कि दो दिन पहले इन पुलिस वालों ने अस्पताल में भर्ती पिता को शीशे से भी देखने नहीं दिया और आज जब वह इस दुनिया में नहीं है तो वही पुलिस प्रशासन उनके जनाजे को कंधा देने के लिए बुलावा भेज रहा है। ऐसे में एक बेटे के दिल पर क्या गुजर रही होगी, इन अधिकारियों को क्या मालूम। बकौल उमर जबसे उम्र संभाली तब से कई साल बिना पिता के बिताए हैं, भरोसा था कि कभी तो पिता का कंधा सिर रखने के लिए मिलेगा, लेकिन क्या पता था कि वह कंधा अब उसे कभी नसीब नहीं होगा।