Friday, May 3, 2024
नई दिल्ली

मंत्री पद की शपथ दिलाने से राज्यपाल का इनकार, तो सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार……

नई दिल्ली।   राज्यपाल आरएन रवि के खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई की मांग की है। दरअसल तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने राज्यपाल आरएन रवि से वरिष्ठ डीएमके नेता के पोनमुडी को मंत्री पद की शपथ दिलाने की अपील की थी, लेकिन राज्यपाल ने सीएम की सिफारिश मानने से इनकार कर दिया। इसी के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

क्या है तमिलनाडु सरकार की याचिका में
तमिलनाडु सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील एएम सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने की बात कही। सिंघवी ने याचिका में कहा कि राज्यपाल ने फिर वैसा ही किया है, जैसे मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले सुनवाई की थी। अदालत ने पोनमुडी की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी है। मुख्यमंत्री ने उनकी मंत्रीपद पर नियुक्ति के लिए राज्यपाल से सिफारिश की। इस पर राज्यपाल ने पोनमुडी की मंत्री पद पर नियुक्ति को असंवैधानिक बताकर मुख्यमंत्री की सिफारिश मानने से इनकार कर दिया।

डीएमके ने मांगा राज्यपाल का इस्तीफा
तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके ने सीएम की सिफारिश मानने से इनकार पर राज्यपाल आरएन रवि का इस्तीफा मांग लिया है। डीएमके के प्रवक्ता सर्वानन अन्नादुराई ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा ‘राज्यपाल का व्यवहार दिनों दिन खराब होता जा रहा है। वह राज्यपाल पद के लिए शर्मनाक हैं। वह कानून के मुताबिक और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के मुताबिक काम नहीं कर रहे हैं। पोनमुडी की दोषसिद्धि पर सुप्रीम कोर्ट से रोक लग चुकी है, जिससे उनकी विधानसभा सदस्यता बहाल हो गई है। जब वह विधायक बन गए हैं तो फिर वे बतौर मंत्री अयोग्य नहीं हो सकते। यह सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई फैसलों में साफ किया है।’

डीएमके प्रवक्ता ने लिखा कि ‘सेंथिल बालाजी के मामले में हाईकोर्ट ने भी कहा था कि अगर आप विधायक पद के लिए योग्य हैं तो फिर आपको मंत्री पद के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता। फिर ये कौन सज्जन हैं जो इस पर टिप्पणी कर रहे हैं? आखिरकार इस पर फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगा। वह कभी भी दिल्ली जाकर करदाताओं का पैसा बर्बाद कर रहे हैं।

क्या है पूरा मामला
डीएमके के वरिष्ठ नेता के पोनमुडी और उनकी पत्नी को मद्रास हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति रखने और भ्रष्टाचार के मामले में दोषी पाया था और तीन साल की सजा सुनाई थी। जिसके बाद जनप्रतिनिधि कानून के तहत पोनमुडी को मंत्री पद छोड़ना पड़ा और उन्हें विधानसभा सदस्यता से भी अयोग्य ठहरा दिया गया। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ पोनमुडी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जहां उन्हें राहत मिली और सुप्रीम कोर्ट ने पोनमुडी की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी। जिससे डीएमके नेता की विधायकी बहाल हो गई तो सीएम स्टालिन ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर पोनमुडी को फिर से मंत्री पद की शपथ दिलाने की सिफारिश की, जिसे राज्यपाल ने मानने से इनकार दिया।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *