Friday, May 3, 2024
उत्तर-प्रदेश

सपा को झटका: अब सपा के इस नेता ने दिया राष्ट्रीय सचिव पद से इस्तीफा, पूर्व सांसद के हैं करीबी

लखनऊ, पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

स्वामी प्रसाद मौर्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी के पार्टी छोड़ने के बाद सपा को एक और बड़ा झटका लगा है। सपा के राष्ट्रीय सचिव योगेंद्र पाल सिंह तोमर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भेज दिया है। उन्हें 28 जून 2023 को सपा का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया था।

अलीगढ़ के लक्ष्मीबाई मार्ग स्थित जापान हाऊस के पार्क व्यू अपार्टमेंट निवासी योगेंद्र पाल सिंह तोमर को सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 28 जून 2023 को पार्टी में राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी दी थी। 21 फरवरी को योगेंद्र पाल सिंह तोमर ने राष्ट्रीय सचिव पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसका पत्र सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेज दिया है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि कहा है कि अब तक की राजनीति पांच बार के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी के साथ ही की है। अब वह सपा से अलग हो गए, ऐसे में उनके लिए भी पार्टी के साथ रहने का कोई औचित्य नहीं हैं। पार्टी में अल्पसंख्यकों के साथ ही सामान्य और पिछड़े वर्ग की अनदेखी हो रही है।

बंदायू की गुन्नौर तहसील के मिठनपुर गांव के मूल निवासी योगेंद्र पाल सिंह तोमर पश्चिमी यूपी के प्रमुख रियल एस्टेट कारोबारी हैं। वह पिछले काफी समय से समाजवादी पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। 2014 में बंदायू लोकसभा क्षेत्र से धर्मेंद्र यादव को सांसद बनाने में उनकी अहम भूमिका बताई जाती है। सामान्य वर्ग के साथ ही पिछड़े और अल्पसंख्यकों में इनकी गहरी पैठ है। समाज सेवा के लिए भी अलग पहचान है। पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी के सपा से त्याग पत्र देने के बाद इनके भी समाजवादी पार्टी छोड़ने की अटकले लगाईं जा रही थीं ।

योगेंद्र पाल सिंह तोमर ने पत्र में कहा कि पार्टी में मुसलमानों के साथ ही सामान्य और पिछड़े वर्ग उपेक्षा से परेशान होकर राष्ट्रीय सचिव पद से इस्तीफा दे रहा हूं। पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी के साथ सपा की सदस्यता ग्रहण की थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी की कर्मठता के बाद भी उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा गया। सपा की पीडीए नाम की राजनीति भी अब दिखावा लगती है। कई बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से क्षेत्रीय और ब्राह्मण हित में बात करने के प्रयास किए गए, मगर उन्होंने इस बात को सुनना ही पसंद नहीं किया। पार्टी में कार्यकर्ताओं की भावनाओं का भी सम्मान नहीं हो रहा है। इससे मन काफी आहत है।

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