Monday, May 6, 2024
उत्तर-प्रदेशगोरखपुर

दहेज की कार बुकिंग पर, पत्नी गई ऑटो से तो लौटी ही नहीं; बोली-अब नहीं आऊंगी

गोरखपुर। पिता ने रिश्तों को संजोने के लिए बेटी को शादी में कार उपहार में दिया, लेकिन अब वहीं कार रिश्तों को तोड़ने के कगार पर पहुंचा दी है। पति अपने आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए कार को टैक्सी में चला दिया है, बस यही बात पत्नी को खटकने लगी है। उसने फैसला सुना दिया कि अब ससुराल नहीं आऊंगी।

एक दिन पत्नी को रिश्तेदारी में ऑटो से जाना पड़ा और इसके बाद ही उसने पति के सामने कार को टैक्सी पर न चलाने की शर्त रख दी। पति नहीं माना तो वह रिश्तों को तोड़ते हुए थाने पहुंच गई और फोन करके बता दिया कि अब मैं ससुराल नहीं आऊंगी, मुझे साथ रहना ही नहीं है। मामला परामर्श केंद्र में गया तो काउंसलर रिश्तों को जोड़ने की कोशिश में लग गए हैं। फिलहाल, एक कोशिश असफल हो चुकी है, लेकिन अब भी प्रयास यही है कि गृहस्थी को उजड़ने से बचा लिया जाए।

करीब छह महीने पहले एक महिला की शादी चिलुआताल इलाके में हुई थी। बेटी-दामाद खुश रहे और नए जीवन को खुशहाल बनाए, इसी सोच से बेटी को दहेज में कार दी गई। शादी के बाद शुरुआत में तो सब कुछ ठीक रहा, लेकिन दो महीने बाद ही रिश्तों में कार की वजह से खटास आ गई। पति ने आर्थिक मजबूरियों की वजह से कार को टैक्सी में लगा दिया। सोच थी कि किसी तरह से घर में कुछ रुपये अतिरिक्त आएंगे तो जिंदगी और खुशहाल होगी।

नई नवेली दुल्हन ने शुरुआत में इसका विरोध नहीं किया, लेकिन एक दिन जब उसे रिश्तेदार के घर ऑटो से जाना पड़ा तो उसे यह बात खटक गई। उसने करीब एक महीने पहले पति से कह दिया कि उसकी कार पिता ने उसके चलने के लिए दी है, अब ये टैक्सी में नहीं चल सकती। पति ने इन्कार कर दिया तो अब रिश्ता तोड़ने के लिए प्रार्थनापत्र देते हुए पत्नी मायके चली गई है।

रिश्तों को बसाने की कोशिश करता है परामर्श केंद्र
महिला थाना परिसर में स्थित परिवार परामर्श केंद्र दिन-रात एक कर लोगों के परिवार को जोड़ने की काेशिश करता रहता है। इस कड़ी में कुछ के बिखरे परिवार जुड़ जाते हैं तो कुछ घर कई काउंसिलिंग के बाद भी अपने रिश्तों को सुधार नहीं पाते और कोर्ट चले जाते हैं। परिवारिक विवाद के निपटारे के लिए बनाया गया केंद्र पूरे उत्साह के साथ हर केस को लेता है और धैर्य के साथ सबके मुद्दों को सुनाता है और सभी पक्षों पर विचार कर अपना सुझाव देता है। यहां पर पति-पत्नी, सास-बहू से लेकर मायके वालों की दखलंदाजी जैसे मुद्दों पर अनेक केस आते रहते हैं।

डीडीयू समाजशास्त्र विभाग प्रो. संगीता पांडेय ने कहा कि स्त्री को धन इसलिए दिया जाता है कि परिवार के मुश्किल हालात में इस्तेमाल कर सकें। लेकिन, आज ये दहेज का रूप ले चुका है। पहले ही लड़कियों को समझाया जाता है कि यह सामान तुम्हारे सुख के लिए है। आजकल शिक्षित लोग इस तरह की बात ज्यादा करते हैं। अपने अधिकार को जानना अच्छा है पर उसका प्रदर्शन करना उचित नहीं, संपत्ति दंपती के लिए है ना कि किसी एक के लिए।

मनोचिकित्सक आकृति पांडेय ने कहा कि परिवार के सभी सदस्यों का समय अलग-अलग होता है तो घर का काम करने की कोशिश पूरे परिवार को करनी चाहिए।परिवार के लोगों को चाहिए कि अगर बहू काम नहीं करना चाहती तो कारण जरूर पूछे। परिवार के सभी लोगों को मिलजुलकर काम करना चाहिए। अधिकरत झगड़े बातचीत की कमी से होते हैं। परिवार के सभी सदस्यों को लगातार बातचीत करनी चाहिए।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *