प्लीज सर! मेरा नाम जुड़वा दीजिए, नहीं तो परीक्षा नहीं दे पाऊंगी… DEO के सामने बिलखती रही 12वीं की छात्रा शबनम
भागलपुर। सर मेरा नाम जुड़वा दीजिए….. प्लीज सर! नहीं तो मैं परीक्षा नहीं दे पाऊंगी। यह कह शबनम जिला शिक्षा विभाग के कार्यालय में लगातार रो रही थी। दरअसल, नाम कट जाने के कारण 10 तारीख से शुरू हो रही 12वीं की प्रायोगिक परीक्षा के लिए शबनम का एडमिट कार्ड नहीं आया था। एडमिट कार्ड नहीं आने से परेशान शबनम अपना नाम जुड़वाने के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी और डीपीओ माध्यमिक शिक्षा के कार्यालय में गुहार लगाने अपने मां सोनी देवी के साथ पहुंची थी।
बेटी को रोते देख सोनी देवी भी अपने आंसू नहीं रोक पा रही थी। मां-बेटी के आंसू बाद भी नाम जोड़ने को लेकर बात नहीं बन पाई। जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने शबनम को समझते हुए कहा कि प्रधानाध्यापक द्वारा नाम काटने के बाद उसकी सूची बोर्ड को भेज दी गई है, इसलिए यहां से अब कुछ कर पाना असंभव है।
जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि बिहार बोर्ड द्वारा सख्त आदेश निकाला गया है कि जिन बच्चों ने 75 प्रतिशत उपस्थित पूरी नहीं की या या लगातार स्कूल से अनुपस्थित हैं, तो उन्हें बोर्ड परीक्षा में शामिल नहीं कराएं। चाहे वह सेंटअप परीक्षा दे चुके हो, अगर वे अनुपस्थित हैं, तो उनका नाम काटकर बोर्ड को सूचित करें।
255 छात्राओं का कटा नाम
डीईओ संजय कुमार ने बताया कि 10वीं और 12वीं में ऐसे 255 छात्र छात्राएं हैं, जो इस बार परीक्षा से वंचित रहेंगे। उन्हें बोर्ड परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा। यह बोर्ड का निर्देश है।
सेंटअप परीक्षा के बाद बीमारी के कारण नहीं जा रही थी शबनम स्कूल
छात्रा शबनम की मां सोनी देवी अपनी बेटी को चुप कराते हुए खुद रो रही थी। उन्होंने रोते हुए बताया कि सेंट अप परीक्षा के बाद शबनम की तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। जिसके कारण उसे कोलकाता ले जाकर इलाज करवाया जा रहा था। पिछले एक साल से शबनम लगातार बीमार रह रही थी। बीते शनिवार को जब शबनम स्कूल गई, तो पता चला उनका नाम काटकर प्रधानाध्यापक द्वारा बोर्ड को भेज दिया गया। जिसके बाद वह रोते हुए घर आई और बोली मम्मी मेरा भविष्य खराब हो गया। अब मैं बोर्ड परीक्षा नहीं दे पाऊंगी। पहले तो उसे चुप करवाया।
सोमवार को बेटी को लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय पहुंची, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि अब बोर्ड स्तर से ही इस पर विचार किया जा सकता है। हमारे स्तर से इस पर कुछ कर पाना असंभव है। मां सोनी देवी ने बताया कि बहुत मुश्किल से बच्ची को पढ़ा रहे थे। शिक्षा विभाग को एक बार इस पर विचार करना चाहिए। कोई इंसान कभी भी बीमार पड़ सकता है। नाम काटने से पहले एक बार जांच कर लेना जरूरी है। यह कहते हुए निराश दोनों मां बेटी पुनः घर को वापस लौट आई।
लगभग 255 ऐसे छात्र छात्राएं हैं, जो 10वीं और 12वीं के परीक्षा से वंचित रहेंगे। विभाग द्वारा ऐसे छात्र-छात्राओं को चिह्नित कर बोर्ड सूचना भेज दी गई है। ऐसे छात्र-छात्राओं के लिए बोर्ड अप्रैल में परीक्षा आयोजित करवाएगी। – संजय कुमार डीईओ