Friday, May 3, 2024
नई दिल्ली

शाबाश बिटिया: पांच दिनों में पांच नौकरियां हासिल कर टीनू ने सबको चौंकाया, सेल्‍फ स्‍टडी कर कम उम्र में बनी अफसर

जमुई। जमुई की रहने वाली टीनू ने पांच दिनों में पांच नौकरियों की प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता पाकर सबों को चौंकाया दिया है। टीनू ने बिहार एसएससी ग्रेजुएट लेबल परीक्षा पास कर अफसर बिटिया बन गई है। जबकि बीपीएससी द्वारा आयोजित तीनों शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में सफलता पाई है। टीनू की इस उपलब्धि ने बेटियों को पुनः एक बार गौरवान्वित होने मौका दिया है।

पांच दिनों में पांच नौकरियांं

टीनू ने पांच दिनों में पांच नौकरियां की प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता हासिल की है। जो जमुई जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।

टीनू बताती हैं कि दिसंबर माह का अंतिम सप्ताह उसके लिए उपलब्धियां भर रहा है। टीनू का सबसे पहला चयन 22 दिसंबर को कंप्यूटर ऑपरेटर के पद के लिए हुआ।

वहीं 23 दिसंबर को बीएसएससी (सीजीएल) की प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होकर सहायक प्रशाखा पदाधिकारी बनी। 25 दिसंबर को बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा के 6 से 8 संवर्ग में सफलता हासिल की।

वहीं 26 दिसंबर को बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा के माध्यमिक विद्यालय 9 से 10 संवर्ग तथा उच्च माध्यमिक 11 से 12 विद्यालय के लिए भी सफलता हासिल की।

नियमित पढ़ाई से जरूर मिलेगी सफलता: टीनू

एक साथ पांच प्रतियोगिता परीक्षा में टीनू ने सफलता पाकर बड़ी कामयाबी हासिल की है। अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार तथा अपने दिवंगत नाना को देते हुए टीनू बताती है कि नियमित रूप से यदि आप पढ़ाई करें तो सफलता दूर नहीं है। प्रतियोगिता परीक्षा की सफलता के लिए जगह मायने नहीं रखता है। यदि आप एकाग्र होकर अपनी पढ़ाई करें और परिवार आपके सपोर्ट करें तो सफलता जरूर मिलेगी।

यूपीएससी की तैयारी करना चाहती है टीनू

जमुई जैसे छोटे शहर में रहते हुए सेल्फ स्टडी को अध्ययन का माध्यम बनाकर कामयाबी हासिल करने वाली आफिसर बनी 27 वर्षीय टीनू यूपीएससी की तैयारी करना चाहती है। सेक्शन ऑफिसर बनने वाली टीनू के पिता मुन्ना कुमार सिंह सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर हैं और मां पिंकी सिंह गृहणी हैं।

वह अंग्रेजी में मास्टर डिग्री और बीएड की डिग्री प्राप्त कर चुकी है। टीनू बताती है कि तीन बार बिहार पुलिस के दारोगा पद पर सफलता पाने से मामूली कदम से चूक गई थी। टीनू और उसके परिवारवालों की ख्वाहिश थी कि वह अधिकारी बने जो अब पूरा हो चुका है।

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