चौहरे हत्याकांड में फजीहत के बाद शराबकांड में हटाए गए एएसपी, कानून व्यवस्था पर उठ रहे सवाल…..
उन्नाव। जहर खिलाने के बाद गला घोटकर व मुंह दबाकर चार मासूम बच्चों की हत्या हो और पुलिस करंट बता उसे दबाने का प्रयास करे तो यह समझ लेना चाहिए कि अब पुलिस कानून से नहीं अपने बनाए नियमों से चलना चाहती है।
उन्नाव पुलिस ने कुछ ऐसा ही करके विभाग की ऐसी फजीहत कराई कि सरकार भी बड़ा फैसला लेने पर मजबूर हो गई। चार बच्चों की हत्या को करंट से मौत साबित कराने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खेल कराने के आरोप में घिरे एएसपी शशिशेखर सिंह को सोहरामऊ शराबकांड के बाद यहां से हटा दिया गया।
शासन की नाराजगी इसी से समझी जा सकती हैए उन्हें उन्नाव से हटाकर संतकबीरनगर भेजा गया है। बारासगवर के लालमनखेड़ा में क्रूर पिता वीरेंद्र ने 19 नवंबर को अपने चार मासूम बच्चों की बेरहमी से हत्या कर हर किसी को गुमराह करने के लिए बच्चों पर फर्राटा पंखा रख दिया। जिससे हर कोई करंट लगने से बच्चों की मौत की बात समझे। हुआ भी वही। पुलिस ने बिना जांच किए बच्चों की मौत करंट लगने से मान ली।
पोस्टमार्टम में बच्चों के पेट में जहर मिला तो चाैहरे हत्याकांड को दबाने के लिए पुलिस ने कोई कसर नहीं छोटी। चर्चा थी कि एएसपी शशिशेखर सिंह पोस्टमार्टम होने तक सीएमओ के दफ्तर में बैठे रहे। नतीजा यह निकला कि बच्चों को करंट लगा नहीं और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में करंट लगने की बात दर्शा दी गई।
गला व मुंह दबाने की बात को भी रिपोर्ट में नहीं दर्शाया गया। पिता के गुनाह स्वीकार करने और करंट न लगने की बात स्वतः स्वीकार किए जाने पर पुलिस की जमकर फजीहत हुई। पुलिस का यह खेल शासन तक पहुंचा। जिसके बाद उल्टी गिनती शुरू हो गईं।
मामला बिसरा रिपोर्ट पर अटका होने से किसी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई। इसी बीच सोहरामऊ में हुए शराबकांड ने आग में घी डालने का काम किया और एएसपी शशिशेखर सिंह को यहां से हटा दिया गया।
अखिलेश सिंह बने उन्नाव के एएसपी
एएसपी शशिशेखर सिंह का संतकबीरनगर स्थानांतरण हो गया। लखनऊ से अखिलेश सिंह को उन्नाव का एएसपी बनाया गया है। शशिशेखर सिंह यहां दो साल नौ माह से अधिक समय तक तैनात रहे।