नहीं लिए सात फेरे फिर भी हो गए हम तेरे, चर्चा में है ये अनोखी शादी……
जमुई। हिंदू धर्म में शादी की रस्मों की अहमियत को नजरअंदाज करना आसान नहीं है। खासकर गांव कस्बे और छोटे शहरों में। इसी लिहाज से जमुई नगर परिषद क्षेत्र की एक शादी चर्चा में है। चर्चा इसलिए हो रही है कि अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे नहीं लगे, बल्कि एग्रीमेंट और स्वरचित प्रस्तावना की शपथ लेकर शादी रचाई गई।
यहां ना कोई मंडप सजा था और ना ही कोई पंडित बुलाए गए थे। ना बैंड बजा और ना ही कोई मंत्र पढ़े गए। सीधा दूल्हे और दुल्हन ने एक दूसरे के गले में माला डाली। फिर विवाह विशेष अधिनियम 1954 के तहत अनुबंध पर दूल्हे और दुल्हन ने हस्ताक्षर किए।
दूल्हे ने भरा मांग में सिंदूर
तत्पश्चात दुल्हन की इच्छा के अनुसार, मांग में सिंदूर भरने की औपचारिकता पूरी की गई और शादी का समापन हो गया। यह सब कुछ बीती रात शहर के महाराजा विवाह भवन में हुआ। यहां नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत पूर्व वार्ड पार्षद नारायण मंडल के पुत्र आशीष नारायण की शादी गिद्धौर प्रखंड के रामाकुराब गांव निवासी सरोज रावत की पुत्री निशा कुमारी के साथ हुई।
दूल्हे ने शादी को लेकर क्या कहा
इस शादी को लेकर दूल्हा आशीष नारायण ने कहा कि जब पति.पत्नी के बीच किसी प्रकार का विवाद होता है तो अदालत में मंत्र और अग्नि की गवाही नहीं होती है। विशेष विवाह अधिनियम 1954 के अनुसार उन्होंने प्रेम और आपसी संबंध के साथ स्वतंत्र रूप से एक दूसरे के विचारों और व्यक्तित्व को सहर्ष स्वीकार करते हुए वैवाहिक रिश्ते को बिना किसी अनुचित प्रभाव के संकल्प के साथ स्वीकार किया है। यह शादी पूरी तरह दहेज रहित है।
यहां बता दें कि इस अनोखी शादी में शपथ दूल्हे के छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश से आए दो मित्रों ने दिलाई। छत्तीसगढ़ निवासी भरत किशोर पटेल तथा उत्तर प्रदेश के झांसी निवासी आशीष नायक पेशे से अभियंता के साथ.साथ अधिवक्ता भी हैं।