फर्जी शिक्षकों पर कब होगी कार्रवाई, 18 महीने पहले दर्ज हुई थी एफआईआर….अभी तक पूरी नहीं हुई जांच……
औरंगाबाद। जिले में फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल शिक्षकों पर थाना की पुलिस मेहरबानी बरसा रही है। मेहरबानी ऐसी कि फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल शिक्षकों की न गिरफ्तारी कर पाई न 18 माह बीत जाने के बाद अनुसंधान पूरा हो पाया। मामले में निगरानी पटना के द्वारा थानों में कराई गई प्राथमिकी पर पुलिस सुस्त है।
अबतक शिक्षकों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित नहीं किया गया है। अगर इस मामले को देखा जाए तो अनुसंधानकर्ता के द्वारा अपनी डायरी में अनुसंधान को लेकर कई बातें लिखी गई होगी पर हकीकत यह है कि आरोपित शिक्षकों के घर तक नहीं पहुंची होगी। प्रमाण पत्रों का सत्यापन सही तरीके से नहीं किया गया होगा।
पुलिस के सहयोग से आरोपित शिक्षकों में कई कोर्ट से जमानत ले लिए हैं तो कुछ शिक्षकों का हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिली है। हालांकि यह तब पता चलेगा जब एसपी के स्तर से इस मामले के अनुसंधान की समीक्षा की जाएगी।
20 शिक्षकों का प्रमाण पत्र मिला था फर्जी
निगरानी से मिली जानकारी के अनुसार, अप्रैल 2022 में सदर प्रखंड के पंचायतों में बहाल करीब 20 शिक्षकों का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया था। फर्जीवाड़े में शामिल शिक्षकों समेत अन्य अज्ञात के खिलाफ फेसर थाना में करीब छह प्राथमिकी कराई गई थी। बताया गया कि सदर प्रखंड के फेसर थाना क्षेत्र के परसडीह पंचायत में फर्जी प्रमाण पत्र पर अधिक बहाली हुई थी।
इसमें औरंगाबाद से लेकर रोहतास जिले के शिक्षक फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल हुए थे। निगरानी के अनुसार, प्राथमिकी के बाद अनुसंधान से लेकर गिरफ्तारी कर थाना की पुलिस को करने का दायित्व था। शिक्षकों का बिहार पात्रता परीक्षा का अंक पत्र बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से जांच में फर्जी पाया गया था।
शिक्षकों की बहाली वर्ष 2014 एवं 2013 में की गई थी। एसडीपीओ मो. अमानुल्लाह खां ने बताया कि सदर अनुमंडल के थानों में फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल शिक्षकों के खिलाफ हुई प्राथमिकी की समीक्षा की जाएगी।