Thursday, May 2, 2024
उत्तर-प्रदेशकानपुर

फर्जी स्क्वाड्रन लीडर के जाल में उलझी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई, एसटीएफ के खुलासे से सब रह गए हैरान…….

कानपुर। भारतीय वायु सेना के स्क्वाड्रन लीडर की वर्दी पहनकर बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर ठगने वाला राहुल राजपूत पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के निशाने पर था। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी उसे हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश कर रही थी। वह उसे सैन्य अधिकारी ही मान रहे थे और राहुल राजपूत भी लगातार उनके संपर्क में था।

नए तथ्य के सामने आने के बाद जांच एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं। एसटीएफ और वायुसेना इंटेलिजेंस ने मंगलवार को टाटमिल चौराहे के पास उन्नाव के आजाद नगर, नवाबगंज निवासी राहुल राजपूत को गिरफ्तार किया था।

वह स्क्वाड्रन लीडर की वर्दी पहनकर बेरोजगारों को नौकरी का झांसा देकर ठगता था। उसके पास से कूटरचित दस्तावेज भी बरामद हुए। थाना रेल बाजार में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।

कांटेक्ट लिस्ट में मिला पाकिस्तानी नंबर

राहुल के पास से बरामद मोबाइल की जांच के दौरान एयरफोर्स नाम से उसके कांटेक्ट लिस्ट में एक नंबर मिला। उस नंबर पर वह लगातार संपर्क में था। जांच में सामने आया कि वह पाकिस्तानी नंबर है।

पुलिस के मुताबिक राहुल से जब इसके बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि उक्त नंबर से एक महिला ने फोन किया था। वह भी खुद को एयरफोर्स से जुड़ी बता रही थी। महिला उससे सेना से जुड़ी कुछ जानकारियां हासिल करने की कोशिश कर रही थी। मगर, वह सेना में था ही नहींए इसलिए कोई जानकारी नहीं दे सका।

हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश कर रही थी आइएसआइ

एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक ऐसा लग रहा है कि राहुल को आइएसआइ हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश कर रही थी। उसने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर खुद को वायु सेना अधिकारी बताया था, इसलिए वह आइएसआइ के निशाने पर आ गया।

एसटीएफ के मुताबिक राहुल के चार बैंक खाता सामने आए हैं। यह खाते आरबीएल, एचडीएफसी, फेडरल और कर्नाटका बैंक में हैं। बैंक खातों से जानकारी हुई कि उसका दिल्ली के उत्तम नगर में मकान था, जो उसकी मां के नाम था। माता.पिता में तलाक के बाद मां ने मकान बेच दिया था और मां के साथ राहुल कानपुर आ गया था।

आरोपित राहुल ने दिल्ली में भी की ठगी

एसटीएफ के मुताबिक राहुल ने दिल्ली में भी कइयों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगा था। शहर के अलावा उन्नाव में भी उसने कई लोगों को चपत लगाई। वह आवेदकों से 10 से 20 हजार रुपये ही लेता था। इसलिए ठगी की जानकारी के बाद पीड़ित शिकायत भी नहीं करता था। हालांकि उसने कई लोगों को नियुक्ति पत्र देकर सैन्य कार्यालय में भेज दिया, तो सैन्य इंटेलीजेंस सक्रिय हो गई।

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