20 नवंबर तक शुक्र अस्त के चलते नहीं होंगी शादियां, इतने नवंबर से बजेगी शहनाई, ये हैं शुभ मुहूर्त…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवोत्थानी एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं। इस वर्ष देवोत्थानी एकादशी चार नवंबर को है। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि एकादशी का मान तीन नवंबर को शाम 7ः30 से शुरू होकर चार नवंबर शाम 6ः08 बजे तक समाप्त होगी। इस दिन चातुर्मास भी समाप्त होता है। भगवान विष्णु जो क्षीर.सागर में सोए हुए थे, वह जागते हैं। हरि के जागने के बाद से ही सभी मांगलिक कार्य शुरू किए जाते है। इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और तुलसी की विशेष पूजा और व्रत किया जाता है। आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि तुलसी का विवाह शालिग्राम से किया जाता है।
व्रती महिलाएं इस दिन सुबह स्नान कर आंगन में चौक बनाकर भगवान विष्णु के चरणों को कलात्मक रूप से अंकित करती है। तुलसी विवाह उत्सव भी शुरू होता है। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। देवोत्थानी एकादशी के दिन दान.पुण्य करने से व्यक्ति के घर में शुभता का आगमन होता है। आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि 10 जुलाई को देवशयनी के चलते विवाह आदि मांगलिक कार्य रुक गए थे जो इस बार देवोत्थानी एकादशी के बाद भी शादी का मुहूर्त नहीं बना रहा है।
क्योंकि अभी शुक्र अस्त रहेंगे और विवाह आदि शुभ कार्यों में शुक्र उदय होना जरूरी है। शुक्र तारा दो अक्टूबर को अस्त हो गया था जो 20 नवंबर तक अस्त रहेगा। विवाह कार्य 24 नवंबर से शुरू होगा और 15 दिसंबर तक विवाह के लग्न होगे। 16 दिसम्बर से सूर्य की धनु संक्रांति के कारण खरमास शुरू हो जाएगगा उसमें भी विवाह आदि कार्य नहीं होते है। उसके बाद मकर संक्रान्ति