Saturday, April 27, 2024
उत्तर-प्रदेशवाराणसी

बसपा सांसद दुष्कर्म प्रकरण में डीएसपी यहां इस टोल प्‍लाजा से गिरफ्तार……एसआईटी कर रही है…

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

वाराणसी। घोसी लोकसभा क्षेत्र से बसपा सांसद अतुल राय पर दुष्कर्म का केस दर्ज कराने वाली युवती व उसके गवाह के आत्मदाह प्रकरण में एडीसीपी वरुणा जोन के नेतृत्व में पुलिस टीम ने बुधवार को बाराबंकी टोल प्लाजा से पुलिस उपाधीक्षक अमरेश सिंह बघेल को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले की जांच दो सदस्यीय एसआइटी कर रही है। एसआइटी में पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड डा. आरके विश्वकर्मा और एडीजी महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन नीरा रावत शामिल हैं। इस मामले में डीएसपी बघेल को निलंबित भी किया गया था। बाद में पीडि़ता व मामले के गवाह सत्यम राय ने सर्वोच्च न्यायालय के सामने आत्मदाह कर लिया था। इस प्रकरण में पूर्व आइपीएस अमिताभ ठाकुर को भी लखनऊ में गिरफ्तार किया गया था। वहीं गुरुवार की दोपहर में बाराबंकी में गिरफ्तार पुलिस क्षेत्राधिकारी अमरेश सिंह बघेल को लाकर पुलिस ने सीजेएम की अदालत में पेश किया है।

बसपा सांसद अतुल राय के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली युवती के आत्महत्या करने के मामले में गिरफ्तार पुलिस क्षेत्राधिकारी अमरेश सिंह बघेल को पुलिस ने न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम ऋचा शर्मा की अदालत में पेश किया गया। पुलिस ने विभिन्न आपराधिक धाराओं 193,218,219 व 306 में दर्ज मुकदमा में अमरेश सिंह बघेल का न्यायिक रिमांड बनाने की अदालत से अपील की। अदालत ने पत्रावलियों के अवलोकन के बाद अमरेश सिंह बघेल का न्यायिक रिमांड मंजूर करते हुए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। अदालत में अमरेश सिंह बघेल की पेशी के दरम्यान परिसर में अफरातफरी का माहौल था।

बता दें कि बलिया की मूल निवासी युवती ने एक मई 2019 को लंका थाने में अतुल राय के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। अतुल राय 22 जून 2019 से जेल में बंद है। 30 जून 2019 को अतुल के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। फिलहाल प्रकरण प्रयागराज एमपी.एमएलए कोर्ट में विचाराधीन है। वहीं 23 नवंबर 2020 को अदालत के आदेश से अतुल राय के भाई पवन सिंह के प्रार्थना पत्र पर दुष्कर्म पीडि़ता और उसके गवाह के खिलाफ कैंट थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में दो अगस्त 2021 को अदालत ने दुष्कर्म पीडि़ता के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। साथ ही मुकदमे की सही से विवेचना न करने के कारण इंस्पेक्टर कैंट राकेश कुमार सिंह और दारोगा गिरजाशंकर यादव को निलंबित कर उनके खिलाफ जांच का आदेश दिया गया था।

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