दहेज की मांग वाला निकाह नहीं पढ़ाएंगे काजी व उलेमा, बैंड, बाजा व आतिशबाजी पर भी रोक…..
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
गोरखपुर। दीन.ए.इस्लाम में बढ़ती सामाजिक बुराईयां मसलन निकाह में दहेज की मांग, बैंड.बाजा, डीजे, आतिशबाजी, नाच.गाना, खड़े होकर खाना व फिजूलखर्ची पर मुफ्ती अख्तर हुसैन मन्नानी मुफ्ती.ए.शहर व मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ;नायब काजी ने फिक्र जाहिर करते हुए देश भर के सभी काजी व उलेमा.ए.किराम से अपील की है कि जिस.जिस निकाह में दहेज की मांग, बैंड.बाजा, डीजे व आतिशबाजी हो उनके निकाह हरगिज न पढ़ाएं। जुमा की तकरीरों में अवाम को जागरूक किया जाए।
दहेज की बिना पर गरीब लड़कियां घरों में बैठी हैं
उन्होंने कहा कि देखा जा रहा है कि निकाह के नाम पर गैर शरई कामों को अंजाम दिया जा रहा है। लड़की वालों से दहेज की मांग की जा रही है। जिसको किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता। दहेज की नुमाइश पर भी रोक लगानी चाहिए। आगे कहा कि दहेज की मांग जैसी बुराई का उदाहरण हाल ही में गुजरात की आयशा के साथ हुआ हादसा है। दहेज की बिना पर गरीब लड़कियां घरों में बैठी हैं। अल्लाह के रसूल ने निकाह को आसान करने का हुक्म दिया।
डीजे, ढोल.बाजे और आतिशबाजी दीन.ए.इस्लाम मे नाजायज और हराम है
डीजे, ढोल.बाजे और आतिशबाजी दीन.ए.इस्लाम मे नाजायज और हराम है। इसको सख्ती से रोका जाए। साथ ही इस पर पांबदी लगाने का सामाजिक मकसद फिजूलखर्ची रोकने के साथ ही ध्वनि प्रदूषण और रास्तों में आम लोगों को होने वाली परेशानियां रोकना है। इस मसले पर काजी और उलेमा.ए.किराम की एक बैठक जल्द बुलाई जाएगी। जिसमें अपील की जाएगी कि उलेमा, काजी और मौलवी उर्स की महफिलों, जलसों व जुमे की तकरीरों में अवाम को जागरूक करें।