चकिया SDM ऐतिहासिक काली जी के पोखरे पर सुनाया कविता, याद करने में होगी आसानी…….…पूर्व प्रधानाचार्य ने मैडम जी WhatsApp पर दीजिए , सभी तक पहुंचा जायेगा, ऐतिहासिक काली जी के पोखरे पर सबसे पहले शान से फहराया तिरंगा, जवानों ने दिया समाली
जनपद सहित पूरे देश हर्षोल्लास के साथ 76वां गणतंत्र दिवस मनाया गया। नगर सहित सरकारी भवनों पर शान से फहराया लहरा रहा था। सुबह 8 बजे सबसे पहले ऐतिहासिक मां काली जी के पोखरे पर छात्रों व शिक्षक एवं गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में उपजिलाधिकारी दिब्या ओझा ने ध्वजारोहण किया। इस दौरान राज्य शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित प्रधानाचार्य मीना राय व शिक्षिका शालू कटियार ने एसडीएम को माला पहनाकर सम्मानित किया। राष्ट्रगान के उपरान्त एसडीएम ने सभी को सम्बोधित करते हुए शपथ दिया। सम्बोधित के माध्यम से उपजिलाधिकारी ने कविता के माध्यम से भारत के चित्र को प्रस्तुत किया। जिसपर छात्रों ने खूब तालियां बजाई। पूर्व प्रधानाचार्य चंद्रभान मौर्य ने एसडीएम से कहा कि मैडम यह कविता whatsapp पर दे दिजिए। जिसे छात्रों को कविता याद दिलाया जाए। जिससे वे भारत के राज्यों के बारे में अच्छे से जान सकेंगे।
चकिया तहसील में 76वें गणतंत्र दिवस का आयोजन उत्साह और देशभक्ति की भावना के साथ किया गया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण वार्ड नंबर 5 स्थित ऐतिहासिक मां काली मंदिर परिसर में आयोजित ध्वजारोहण समारोह रहा, जहां एसडीएम दिव्या ओझा ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इस दौरान पुलिस जवानों ने सलामी दी और विभिन्न विद्यालयों के सैकड़ों छात्रों ने देशभक्ति के जोशीले नारे लगाए।
समारोह को विशेष बनाते हुए एसडीएम ने भारत की भौगोलिक विशेषताओं पर आधारित एक कविता प्रस्तुत की, जिसे उपस्थित लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से सराहा।
यह कविता….
रूप की रानी है वो, सतरगी है जिसका आँचल ।
हाथ में है संविधान ओठों पर जिसके मुस्कान । लेकर चलती है तिरंगा देख जिसे मन हो जाये चंगा।
है सिर पर जिसके हिम-केसर का ताज गर्व से करती है हर दिल पर राज पहनती हैं गेह का हार करती हरियाली से सुगार।। है पहने सूती धातों सिल्क को आई ताल नस नस में बहता जिसके गंगा कादरी की धार।।।
दाया हाथ सोने का चमके हाथी दाता के कगत पहने बाएं अंग में चावल चमके पैरों में जिसके सोना दमके। हृदय में हीरे की खान, फौलादों से खड़ी सीना तान कमर में बांधे खनिजों की पेटी, बोली है जिसकी बहुत मीठी ||
है चार पुत्रों की जननी वो, सिखाती सहिष्णुता का पाठ वो । है करुणा की मूरति वो, वसुधैव कुटुम्बकम की सूजनी वो || रूप की रानी है वो, सतरगी है जिसका आँचल ।।