यहां के डाक्टर चंदशेखर को मिला 65 लाख रुपए का प्रोजेक्ट, कुलपति ने दी बधाई, यह गौरव की बात है
काशी विद्यापीठ के डॉ. चन्द्रशेखर को आईसीएसएसआर से मिला 65 लाख रुपये का प्रोजेक्ट
समाज कार्य विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर हैं डॉ. सिंह, कुलपति प्रो. ए.के. त्यागी ने दी बधाई
वाराणसी। समाज कार्य विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. चन्द्रशेखर सिंह को आईसीएसएसआर (ICSSR) से 65 लाख रुपए की एक परियोजना मिली है। डॉ. सिंह को ‘‘कला, शिल्प, संस्कृति एवं लोक परम्पराओं के संरक्षण व संवर्धन में पर्यटन/तीर्थाटन की भूमिका (बिहार एवं उत्तर प्रदेश के कुछ चयनित स्थलों का एक तुलनात्मक अध्ययन)’’ विषयक परियोजना के लिए यह धनराशि मिली है। डॉ. सिंह को इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी ने बधाई देते हुए भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। कुलपति ने कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है।
डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने बताया कि प्रस्तावित अध्ययन बौद्ध, वैष्णव एवं शैव गलियारों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक प्रभावों के विश्लेषण पर आधारित होगा। ऐसी स्थिति में इससे प्राप्त होने वाले निष्कर्ष एवं सुझाव योजनाकारों एवं नीति-नियोजकों हेतु मार्ग दर्शन का कार्य कर सकता है। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश एवं बिहार अपने सांस्कृतिक धार्मिक दृष्टिकोण से समृद्ध है, जो अपने क्षेत्र में न केवल सांस्कृतिक एवं धार्मिक बल्कि आर्थिक विकास की अपार संभावनाओं को समेटे हुए है। विकास के उन संभावित क्षेत्रों विशेषकर पर्यटन/तीर्थाटन एवं स्थानीय उत्पाद के व्यापार को क्रियान्वयन में नीति-नियोजकों एवं प्रशासी इकाइयों का बड़ा योगदान हो सकता है। अतः प्रस्तावित अध्ययन के माध्यम से प्राप्त विकास की संभावित संभावनायें नीति-नियोजकों के क्रियान्वन में सहायता प्रदान कर सकती है।
उन्होंने बताया कि परियोजना का मुख्य उद्देश्य ऐतिहासिक घटनाओं एवं साक्ष्यों के आधार पर उसकी पुनर्व्याख्या करना एवं उसके वास्तविक रूप में प्रस्तुत करना है। स्थानीय लोक संस्कृति, लोक कलाओं, शिल्प, लोकसंगीत, नृत्य के साथ स्थानीय खानपान संबंधी संस्कृति को विश्व स्तर पर स्थापित करने की संभावनाओं का भी अध्ययन होगा। साथ ही इस परियोजना के क्रियान्वयन से इन गलियारों में बसे लोगों के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसी सुविधाओं एवं उसकी पहुंच पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह भी जाना जायेगा। इस परियोजना से आन्तरिक एवं विश्व पर्यटन/तीर्थाटन की सम्भावनाओं का भी अध्ययन किया जाएगा।