निजी अस्पताल के पंजीकरण के नाम पर पांच लाख रुपये मांगने का वीडियो प्रसारित होने के मामले में दो डिप्टी सीएमओ व अस्पताल संचालक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। बीते एक सितंबर को इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित वीडियो में सीएमओ डा.वीके अग्रवाल के साथ कार्यालय में डिप्टी सीएमओ डा. एमएम त्रिपाठी व डा. वीएन चतुर्वेदी बैठे दिखे थे। वीडियो में रंजीत कुमार दावा कर रहा है कि वह डेढ़ लाख रुपये दे चुका है।
ये है पूरा मामला
सीएमओ ने दोनों डिप्टी सीएमओ व अवध हास्पिटल बांसी के संचालक रंजीत कुमार के विरुद्ध तहरीर दी थी। मामले की जांच सदर थाने के प्रभारी निरीक्षक सतीश सिंह करेंगे। बीते एक सितंबर को सौदेबाजी के नाम पर सीएमओ का एक वीडियो प्रसारित हुआ था। उसमें एक निजी अस्पताल संचालक ने अस्पताल के पंजीयन के नाम पर सीएमओ पर पांच लाख रुपये घूस मांगने का आरोप लगाया था। उसने यह भी दावा किया था कि वह डेढ़ लाख रुपये दे चुका है
प्रसारित वीडियो में सीएमओ के अलवा डिप्टी सीएमओ डा. एमएम त्रिपाठी व डा. वीएन चतुर्वेदी भी दिखे थे। सीएमओ ने इसे लेकर अस्पताल संचालक व दोनों डिप्टी सीएमओ के विरुद्ध एसपी अभिषेक अग्रवाल को तहरीर सौंपी थी। एसपी ने इसकी जांच एएसपी सिद्धार्थ से कराई थी। एएसपी की जांच के बाद दोनों सदर थाना पुलिस ने दोनों डिप्टी सीएमओ व निजी अस्पताल संचालक के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है।
मामले से जुड़ा तीन वीडियो प्रसारित हुआ था। इसमें रंजीत डिप्टी सीएमओ डा. बी एन चतुर्वेदी से रुपये के लेन-देन की बात कर रहा है। वह बार-बार रुपये देने की बात कह रहा है। एक वीडियो में संचालक सीएमओ से ही रुपये के संबंध में वार्ता करता दिख रहा है। हालांकि सीएमओ ने अपनी तहरीर में आरोप लगाया है कि डिप्टी सीएमओ डा. वीएन चतुर्वेदी, रंजीत से कह रहा है कि दुर्भाग्य मानकर कुछ दिन सब कर लो। दो-चार महीने छह महीने में सीएमओ चला जाएगा। इसके रहते तुम्हारा काम नहीं हो सकता। इसलिए जो एक लाख 40 हजार तुम्हारा लगा है, मुझसे वापस ले लेना। तब तक तुम यूनानी की प्रैक्टिस कर लो।
क्या कहते हैं अधिकारी
सीओ सदर अखिलेश कुमार वर्मा ने बताया कि दोनो डिप्टी सीएमओ समेत तीन लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद आरोपितों के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाएगी।
आखिर सीडीओ की जांच कब होगी पूरी
इस मामले को लेकर जिलाधिकारी ने पहली सितंबर को ही सीडीओ को जांच सौंपी थी और सप्ताह भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने कहा था। सप्ताह भर बाद भी जांच पूरी नहीं हो सकी है। उसके बाद से दो बार दो-दो दिन का समय बढ़ाया जा चुका है। लोग यह भी सवाल कर रहे हैं कि जब जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा ही नहीं की गई तो दोनों डिप्टी सीएमओ के विरुद्ध मुकदमा पहले क्यों लिख दिया गया। सीएमओ ने तो तहरीर तो दूसरी सितंबर को ही दे दी थी। आखिर मुकदमा 11 दिन बाद क्यों लिखा गया