सदमे में पीड़िता! सिर हिलाकर दे रही है जवाब, माना पुलिस की थ्योरी सही…..पर नाबालिग को थाने बुलाना गलत…..
कानपुर। साढ़ थाना क्षेत्र में किशोरी से छेड़छाड़ के बाद थाने में बुलाकर पूछताछ करने और जांच के नाम पर बेइज्जत करने के मामले में भले ही पुलिस अधिकारियों ने अपनी साख बचाने के लिए थ्योरी गढ़ दी हो, लेकिन नाबालिग को थाने बुलाकर उसके बयान दर्ज करना कानून गुनाह है। किशोर न्याय अधिनियम भी यही कहता है। अधिनियम का उल्लंघन होने के बाद भी अधिकारियों ने इस पर पूरी तरह से पर्दा डाल दिया।
थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाले मजदूर की 16 साल की बेटी को गांव में रहने वाले पूर्व प्रधान का भतीजा राह चलते छेड़छाड़ करता था। तीन सितंबर को पिता ने साढ़ थाने में आरोपी के खिलाफ तहरीर दी। पुलिस ने उसके खिलाफ छेड़खानी, पॉक्सो एक्ट और हत्या करने की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर पहले उसे गिरफ्तार किया, लेकिन सात साल से कम की सजा वाली धाराओं को आधार बनाकर उसे निजी मुचलके पर छोड़ दिया।
अचानक पिता बयान से मुकर गया था
पिता का आरोप था कि पुलिस ने उनकी नाबालिग बेटी को भी थाने बुलाया। इससे वह तनाव में आकर बीमार पड़ गई, जिसका इलाज हैलट में चल रहा है। गुरुवार को प्रकरण की जांच करने एडीसीपी साउथ अंकिता शर्मा अस्पताल पहुंचीं थी, जिसके बाद अचानक पिता पुलिस की कार्रवाई पर संतोष जताते हुए बयान से मुकर गया था। पुलिस ने सबकुछ संभालने का प्रयास किया हो, लेकिन नाबालिग को थाने बुलाना सही नहीं था।
भाई बोला, किसी कागज में हस्ताक्षर कराने के लिए पुलिस लगा रही चक्कर
हैलट अस्पताल में बहन का इलाज करा रहे किशोरी के भाई ने अमर उजाला से की बातचीत के दौरान बताया कि आरोपी गांव में खुलेआम घूम रहे हैं। पुलिस फोन करके उल्टा उन्हें ही परेशान कर रही है। बताया शुक्रवार को दो पुलिस वालों ने किसी कागज पर उनके हस्ताक्षर करवाने के लिए तीन बार अस्पताल के चक्कर लगाए। भाई का आरोप है कि पुलिस उस कागज में उनके हस्ताक्षर करवाकर प्रकरण को हल्के में निपटाना चाहती है।
किशोर न्याय अधिनियम में यह साफ है कि किसी भी किशोर से पूछताछ करने के लिए उसे थाने में नहीं बुलाया जाएगा। उसके घर जाकर पूछताछ की जाएगी। पूछताछ करने वाला पुलिस की वर्दी में नहीं सादे कपड़े में जाएगा। किशोर के परिजन या मोहल्ले के किसी संभ्रांत नागरिक की मौजूदगी में मित्रतापूर्ण माहौल ;चाइल्ड फ्रैंडली एटमासफियर में पूछताछ करेंगे। शिवाकांत दीक्षित, अधिवक्ता.फौजदारी सदमे में है पीड़िता, सिर हिलाकर हां.न में दे रही जवाब साढ़ थाने के अंदर अभद्रता का शिकार हुई नाबालिग छात्रा अभी भी सदमे में है। वह हैलट के बाल रोग विभाग में भर्ती है।कुछ भी बोल नहीं पा रही है। बोलने की कोशिश करती है, लेकिन आवाज नहीं निकलती। सिर हिलाकर हां और न में जवाब दे रही है।