मेज पर बैठाकर इलाज, दर्द से कराहती रही बीएचयू की छात्रा, न स्ट्रेचर मिला न बेड, इमरजेंसी का गजब नजारा…….
वाराणसी। बीएचयू के अर्थशास्त्र विभाग में पीजी की छात्रा शुक्रवार की देर रात पेट में दर्द से कराहती रही। लेकिन बेड व स्ट्रेचर नहीं मिल सका। एक घंटे बाद मेज पर बैठाकर छात्रा का इलाज किया गया। ठीक इसी तरह शोध छात्र को भी इलाज के लिए इंतजार करना पड़ा है। शनिवार की सुबह भी इमरजेंसी का नजारा कुछ ऐसे ही रहा। इमरजेंसी में कुछ मरीज स्ट्रेचर पर पड़े रहे तो कुछ स्ट्रेचर के इंतजार में बैठे रहे।
बीएचयू अस्पताल की इमरजेंसी में पूर्वांचल ही नहीं, बिहार, झारखंड व नेपाल तक के मरीज आते हैं। इमरजेंसी में अधिकांश गंभीर रोगी आते हैं। जिनको समय से इलाज न मिले तो उनकी स्थिति और खराब हो जाती है। शनिवार को दोपहर एंबुलेंस से पांडेयपुर स्थित एक निजी अस्पताल से रेफर होकर आई महिला को एंबुलेंस से उतारने में दिक्कत हुई। परिजनों का कहना था कि स्ट्रेचर नहीं मिल रहा है। कुछ देर बाद स्ट्रेचर मिला तो परिजन महिला को एंबुलेंस से उतारकर इमरजेंसी वार्ड तक ले गए।
एक मेज पर दो मरीजों का कर दिया इलाज
शनिवार की दोपहर करीब एक बजे भूतल पर बने वार्ड में एक मेज पर एक युवती को पहले से लिटाया गया था, फिार उसी मेज पर एक और युवक को बिठाकर डॉक्टरों ने इलाज किया। इस पर युवक ने आपत्ति जताई लेकिन करता भी क्या, बाद में इलाज कराने को तैयार हो गया।
इमरजेंसी में बेड का संकट बरकरार है। हर दिन कुछ मरीज इलाज कराए बगैर ही वापस जाते हैं। शनिवार को जौनपुर, गाजीपुर के साथ ही लंका, पहड़िया, भिखारीपुर क्षेत्र से आए कई मरीज इमरजेंसी वार्ड के बाहर से लौट गए। पूछने पर पता चला कि भीड़ बहुत है। मरीजों की स्थिति गंभीर है। अब निजी अस्पताल में भर्ती कराएंगे। हालांकि, निजी अस्पतालों में खर्च बढ़ेगा, लेकिन समय से इलाज मिल जाएगा। बीएचयू की इमरजेंसी में इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
एक नजर में
इमरजेंसी वार्ड में कुल बेड.100
भूतल पर उपलब्ध बेड.20 बेड
हर दिन इमरजेंसी में आने वाले मरीज.300 से 400
बेड के अभाव में लौटने वाले मरीज.20 से 30
एक भी स्ट्रेचर नहीं दिखा
बीएचयू में मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने का दावा अस्पताल प्रशासन करता है। लेकिन हकीकत कुछ और मिला। शनिवार दोपहर में यहां स्ट्रेचर कॉर्नर पर एक भी स्ट्रेचर नहीं मिला। इमरजेंसी में बेड मिलने में दिक्कत आई।