लाइक्स.कमेंट्स ने बना दिया बीमार, रील पर खूबसूरती को लेकर की टिप्पणी, डिप्रेशन में चली गई 16 साल की लड़की…..
बदायूं की आवास विकास कॉलोनी निवासी 16 साल की लड़की सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय रहती है। वह रोजाना ही अपना कोई न कोई वीडियो को सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपलोड करती थी। वीडियो पर मिलने लाइक्स और कमेंट्स को देखकर खुश होती थी। अचानक वह अवसाद का शिकार हो गई। परिजन हैरान हो गए। वजह तलाशी तो पता चला कि उसके वीडियो पर ज्यादातर कमेंट्स उसका मेकअप ठीक न होने के आ रहे थे।
उसकी फ्रेंड लिस्ट में शामिल कुछ लोग कमेंट्स बॉक्स में उसके सुंदर न दिखने की बात लिख देते थे। इससे वह मानसिक तनाव में रहने लगी। परिजनों ने उसे मनोचिकित्सक को दिखाया तो उन्होंने बताया कि वह बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर की शिकार हो गई है। कई महीने इलाज और काउंसलिंग के बाद वह सामान्य हो पाई। यही स्थिति नेकपुर के एक युवक की हुई। उसके वीडियो पर कुछ ऐसे कमेंट्स आए, जिन्हें पढ़ने के बाद उसने यह मान लिया कि वह वीडियो के माध्यम से मशहूर नहीं हो पाएगा। खुद पर से ही उसका भरोसा उठ गया।
फेमस होने के लिए करते हैं जतन
दरअसल, इंटरनेट के दौर में कई सोशल साइट्स ऐसी हैं। जिन पर युवा रील, वीडियो अपलोड कर फेमस होने के लिए तमाम जतन करते हैं। खुद को सुंदर, आकर्षक और चुस्त.दुरुस्त दिखाने के लिए अपना रूटीन भी बदल लेते हैं। उनका अधिकतर समय मेकअप और मोबाइल में गुजरता है। लड़के जिम में पसीना बहाते हैं। उनका यही शौक उन्हें बीमार बना रहा है। हद से ज्यादा जतन मानसिक अवसाद पैदा करता है।
आज कल युवक. युवतियां दोनों ही तरह.तरह के वीडियो और फोटो सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर पोस्ट करते हैं। लाइक और कमेंट्स की चाहत में वे अपना पूरा समय इसमें लगा देते हैं। उनकी चाहत ही उन्हें बीमार कर रही है। कई लोगों के ऐसे कमेंट्स आते हैं। जिन्हें देखने के बाद युवा सोच में पड़ जाते हैं। वह कमेंट्स को हकीकत मान लेते हैं।
क्रीम भी कर रही चेहरा खराब
जिला अस्पताल के त्वचा रोग विशेष गजेंद्र वर्मा कहते हैं कि खुद को बेहतर और सुंदर दिखाना मानव प्रवृति हैं। ऐसे में युवतियां खुद को आकर्षक दिखाने के लिए मेकअप करती रहती हैं। क्रीम का उपयोग भी जरूरत से ज्यादा करती हैं। इससे उनके चेहरे की त्वचा खराब होने लगती है। इसे छिपाने के लिए और ज्यादा क्रीम का इस्तेमाल करती हैं। इससे चेहरा ही खराब हो जाता है।
जिला अस्पताल की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. सर्वेश कुमारी ने बताया कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं। जिनमें युवा कमेंट्स पढ़ने के बाद अवसादग्रस्त हो गए। लोगों को यह समझना चाहिए कि सोशल मीडिया आभासी दुनिया है। जिंदगी की हकीकत से उसका कोई वास्ता नहीं है। कमेंट्स करने वाले टेंशन देने के लिए भी कमेंट्स करते हैं। आप जैसे भी हैं, उसमें ही खुश रहें।