Wednesday, May 1, 2024
उत्तर-प्रदेशलखनऊ

60 से अधिक आपराधिक मुकदमे, भरी अदालत प्रेमिका संग की थी मंगनी, सब पड़ गए थे हैरत में…..

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बन चुके कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना को एसटीएफ ने मेरठ में ढेर कर दिया। उसी मेरठ में जहां कभी उसके नाम का भी सिक्का चलता था। अनिल दुजाना को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने पिछली साल जनवरी में गिरफ्तार किया था। अनिल दुजाना के खिलाफ दिल्ली व यूपी में हत्या, हत्या का प्रयास, आर्म्स एक्ट और रॉबरी आदि के 60 से ज्यादा मामला दर्ज हैं। यूपी पुलिस ने अनिल दुजाना पर 75 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अनिल दुजाना कितना खूंखार और जरायम की दुनिया में इसका क्या कद था। बड़े.बड़े व्यापारी भी इसके नाम से खौफ खाते थे। अनिल दुजाना की प्रेम कहानी से जुड़ा एक किस्सा भी काफी दिलचस्प है।

बात फरवरी 2019 की है जब गैंगस्टर अनिल दुजाना ने बागपत से आई प्रेमिका पूजा से जिला अदालत परिसर में ही मंगनी कर ली थी। अनिल महाराजगंज जेल से गौतमबुद्धनगर की जिला अदालत में हत्या के मामले में पेशी पर लाया गया था। अधिवक्ता ने अदालत से एग्रीमेंट पर अनुमति मिलने के बाद मंगनी के शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करा लिए थे। इसके बाद अनिल व पूजा ने एक दूसरे को अंगूठी पहनाई। हालांकि अदालत परिसर में इस तरह का कोई कार्यक्रम नहीं हो सकता हैं लेकिन तब इस संबंध में कोई बोलने को तैयार नहीं था।

उस समय अधिवक्ता जितेंद्र नागर ने बताया था कि अनिल दुजाना जिला अदालत में पेशी पर आया था। जबकि पूजा परिजनों के साथ दुल्हन के कपड़े पहने हुए पहुंची थी। इस दौरान अदालत में अनिल के शादी के लिए दिए गए शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कराने की अनुमति मांगी गई। इसमें लिखा था कि पूजा और अनिल एक दूसरे को लगभग एक साल से जानते हैं और शादी करना चाहते हैं। अनुमति मिलने के बाद शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इसके बाद ही दोनों ने एक दूसरे को अंगूठी पहनाई। अदालत परिसर के दौरान परिजनों की भीड़ भी दिखाई दी थी। इसके बाद अनिल के परिजनों के साथ पूजा चली गई थी।

अधिकारियों ने कही थी ये बात

अनिल दुजाना व अन्य बड़े अपराधियों के पेशी पर आने के दौरान पुलिस बल जिला अदालत में मौजूद रहता है। अनिल के आने के दौरान मंगनी करने की सूचना पर पुलिस के आला अधिकारी भी मौके पर पहुंचे थेए लेकिन उन्हें अदालत की अनुमति से हस्ताक्षर कराने की जानकारी मिली। उस वक्त के सीओ ग्रेटर नोएडा प्रथम श्वेताभ पांडे ने कहा था कि सूचना मिलने पर वे जिला अदालत पहुंचे थे लेकिन वहां पता चला कि अनिल ने शपथ पत्र पर हस्ताक्षर आदि अदालत की अनुमति से किए हैं।

जिला पंचायत का चुनाव जीत चुका था अनिल

अनिल ने जेल में ही रहकर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था। वह चुनाव जीत भी गया था। हालांकि, परिसीमन नहीं होने के कारण अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं हो सका था।

अदालत परिसर में नहीं हो सकते शादी.मंगनी या अन्य कार्यक्रम

इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता पंकज दुबे का कहना था अदालत परिसर में मंगनी या शादी समेत अन्य कार्यक्रम बिना अदालत की अनुमति से नहीं हो सकते। अगर किसी अपराधी को सजा हो चुकी है तो ऐसे अपराधी को इस तरह की अनुमति नहीं मिल सकती। अनिल दुजाना के मामले में वकील की तरफ से शपथ पत्र पर कोर्ट से अनुमति ली गई थी। लेकिन इसमें कोर्ट परिसर में किसी आयोजन की अनुमति नहीं होती।

साथ ही बताया था कि अगर कोर्ट परिसर में पुलिस के समक्ष यह सब कुछ हुआ तो जो पुलिस अपराधी को न्यायालय में लेकर आई है। उसकी जिम्मेदारी बनती है कि वह कानून का पालन करते हुए महाराजगंज जेल से गौतमबुद्धनगर न्यायालय व बाद में महाराजगंज जेल में अपराधी को पहुंचाए। बीच में कोई घटना या अन्य कार्य होता है तो कस्टडी में लेकर आए पुलिस वाले ही जिम्मेदार होते हैं।

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