Saturday, May 4, 2024
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बेकसूर था…..फिर क्यों मिली सजा, जेल में गुजारे 32 साल, चढ़ावे के जेवर लूटने का लगा था आरोप, अब होगी रिहाई……

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

कन्नौज जिले में 32 साल पहले वर्ष 1991 में लूट के आरोप में हरदोई जेल में बंद बेकसूर को अब तीन दशक बाद रिहाई मिलेगी। कन्नौज जिले के छिबरामऊ के मोहल्ला तिवारियान निवासी विनोद उर्फ कुलिया अब बुजुर्ग हो गए हैं। उनके परिवार में कोई सदस्य न होने पर जिला न्यायालय में पैरवी नहीं हो सकी थी।

इस कारण वह जेल में ही बंद रहे। शुक्रवार को उन्हें आरोप से दोषमुक्त करते हुए रिहाई का आदेश जारी किया गया है। चीफ डिफेंस काउंसिल श्वेतांक तिवारी ने बताया कि फिरोजाबाद के मोहल्ला कंबोहान निवासी राजेंद्र सिंह ने सात अगस्त 1991 में लूट की वारदात का हवाला देते हुए छिबरामऊ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

उन्होंने छिबरामऊ के विनोद उर्फ कुलिया, रमा उर्फ रमाशंकर, अजय दीक्षित, रामप्रकाश मिश्रा, उमाकांत मिश्रा, विद्याधर, नरेश दुबे व सतीश चंद्र को जेवरात का थैला लूटने का आरोपी बनाया गया था। राजेंद्र ने छोटे भाई नरेंद्र सिंह की शादी के दौरान जेवरात का थैला छीनकर आरोपियों के भागने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

विनोद को छोड़कर सभी को मिली जमानत

चीफ डिफेंस काउंसिल ने बताया कि पुलिस ने सभी आरोपियों को न्यायालय में पेश किया था। वहां से सभी को फतेहगढ़ जिला फर्रुखाबाद जेल में बंद किया गया। विनोद को छोड़कर अन्य सभी आरोपियों के परिजनों की ओर से पैरवी करने पर उन्हें जमानत मिल गई। विनोद उर्फ कुलिया की शादी नहीं हुई थी।

2013 में हरदोई जेल में शिफ्ट हुआ

परिवार में अन्य कोई सदस्य नहीं मिला, जो उसकी जमानत के लिए पैरवी करवाता। बताया गया है कि विनोद के पिता की 15 साल पहले मौत हो गई थी। उसी दौरान पेरोल पर कुछ दिनों के लिए वह रिहा हुआ था। उसके बाद दोबारा जेल में पहुंच गया। वर्ष 2013 में विनोद को हरदोई जेल में शिफ्ट कर दिया गया।

मामले में सभी आरोपी निर्दोष साबित हुए

शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र एडीजे द्वितीय नंद कुमार ने विनोद, रमाशंकर, अजय, उमाशंकर, विद्याधर और रामप्रकाश को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया। चीफ डिफेंस काउंसिल का कहना है कि विनोद तो अब भी हरदोई जेल में बंद है। अन्य आरोपी जमानत पर थे। अब सभी निर्दोष साबित हुए हैं।

17 मार्च से हो रही लगातार सुनवाई

चीफ डिफेंस काउंसिल ने बताया कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से जिला न्यायालयों में उन लोगों को निशुल्क अधिवक्ता पैरवी के लिए मिलते हैंए जिनके पास कोई वकील नहीं होता। 17 मार्च 2023 को जिला जेल हरदोई से विनोद ने अधिवक्ता दिए जाने का पत्र जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष को भेजा था।

कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी किया

उसके बाद पत्र को प्राधिकरण के सचिव मिलिंद कुमार के पास भेजा गया। श्वेतांक तिवारी ने उसके बाद कागज तैयार कर विनोद के लिए पैरवी शुरू की। उन्होंने बताया कि 18 मार्च से लगातार एक दिन छोड़कर केस की सुनवाई चल रही थी। शुक्रवार को सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया।

बेकसूरी की आस में चार दिन पहले ही मौत

इसी मामले में एक आरोपी रहे सतीश की अभी चार दिन पहले ही 27 मार्च 2023 को मौत हो गई। इसी मामले में एक आरोपी नरेश दुबे की 11 नवंबर 2004 को मौत हो गई थी। इन सभी को अब बरी कर दिया गया है।

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