Tuesday, April 30, 2024
उत्तर-प्रदेशलखनऊ

तीन साल का लॉकडाउन, पुलिस ने मां को बुलाया थाने, फिर घर का ताला तोड़कर पिता ने बेटे को कराया आजाद……

पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

गुरुग्राम थाना डीएलएफ क्षेत्र की मारुति विहार सोसायटी में तीन साल तक घर में कैद रहने के बाद पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बेहद सूझबूझ के साथ पहले मां को घर से बाहर बुलाया और उसके बाद घर का ताला तोड़कर बेटे को बाहर निकाला। घर के अंदर कूड़ा ही कूड़ा देख कर टीम हैरान हो गई और पति बुरी तरह रोने लगा।

पुलिस के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग व काउंसलिंग करने वाली संस्था सकून के साथ मंगलवार देर शाम पुलिस की टीम मारुति विहार सोसाइटी में पहुंची। लेकिन मुनमुन ने दरवाजा नहीं खोला। इसके बाद पुलिस ने मुनमुन से कहा कि उससे कुछ पूछताछ करनी है, वह चकरपुर पुलिस चौकी आ जाए।

अगले दिन मंगलवार को सुबह 9 बजे मुनमुन अकेली चौकी पर पहुंच गई। बेटे को वह फ्लैट में ही छोड़कर आई थी। स्वास्थ्य विभाग और सकून संस्था के समझाने पर मुनमुन नागरिक अस्पताल आकर अपनी जांच करवाने के लिए तैयार हो गई।

वह अपने बेटे की जांच कराने को तैयार नहीं थी। इसके बाद टीम मुनमुन के पति सुजान और पुलिस को साथ लेकर मारुति विहार स्थित घर पर पहुंची। सकून संस्था के मुताबिक घर का ताला तोड़कर बेटे को बाहर निकाला।

घर का हाल देख फूट.फूटकर रोया पिता

घर के अंदर कूड़ा ही कूड़ा था। चिप्स, फ्रूटी, बिस्कुट आदि के पैकेट के इस्तेमाल किए गए रैपर के ढेर लगे हुए थे। घर की हालत देखकर सुजान फूट.फूट कर रोने लगा।

बेटे को नागरिक अस्पताल लाया गया और उसके स्वास्थ्य की जांच की गई। बेटा पूरी तरह स्वस्थ था। इन तीन साल में सुजान अपनी पत्नी मुनमुन व बेटे के लिए राशन, सब्जियां, दूध आदि दैनिक जरूरतों की चीजों को मुनमुन वाले फ्लैट के बाहर रख दिया करता था।

सिलिंडर खत्म होने पर इंडक्शन कुकिंग प्लेट रख दी। वह बिजली का बिल और किराया आदि चुकाता रहा। बेटे की क्लास आनलाइन फोन पर होती थी। मुनमुन की मांग थी कि जब तक 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक वह अपने बेटे को घर से बाहर नहीं निकलने देगी।

मानसिक चिकित्सा विभाग के डॉ. विनय कुमार के मुताबिक बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है। बच्चे ने बताया कि उसे समय पर खाना आदि मिलता था। उसकी सभी प्रकार की जरूरतें पूरी की जा रही थीं।

उन्होंने बताया कि पति और पत्नी दोनों को कोरोना रोधी टीका लग चुका था। इसके बाद भी महिला मानसिक रूप से समस्या ग्रस्त थी। उसे डर था कि उसके बेटे को कोरोना न हो जाए। उसने अपनी शंका को ही हकीकत मान लिया था और इस मानसिक अवस्था से वह बाहर नहीं आ सकी थी।

बाल कल्याण समिति ने सुलझाया मामला

गुरुग्राम सेक्टर.10 स्थित नागरिक अस्पताल में मुनमुन और उसके बेटे का स्वास्थ्य परीक्षण के बाद रोहतक पीजीआई रेफर किया गया था। वहां पर मुनमुन और उसके परिवार ने स्वयं ही भर्ती न होने और निजी स्तर पर ही जांच कराने की बात कही। इसके बाद बच्चे को लेकर मामला बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया।

यहां पर समिति ने पति पत्नी दोनों से बात की जिसके बाद मुनमुन अपने पति और बेटे के साथ एक ही घर में रहने को तैयार हुई। औपचारिकताएं पूरी करने के बाद बच्चे को माता पिता की सुपुर्दगी में दे दिया गया है।

एक साल तक किसी को नजर नहीं आए मुनमुन और उसका बेटा

मारुति विहार कॉलोनी के मकान नंबर 1518 में अपने बेटे के साथ तीन साल तक कैद रही मुनमुन माजी और उसका बेटा पूरे एक साल तक किसी को नजर नहीं आए। उसके पड़ोसी यही समझते रहे कि परिवार मकान खाली कर गया या कहीं चला गया है।

हालांकि बीच.बीच में घर की लाइटें जली देखी तो मकान के ठीक सामने रहने वालों को कुछ संदेह हुआए लेकिन उन्होंने इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। बाद में पड़ोसियों को पता चला कि बच्चे की तबीयत खराब हैए इसलिए परिवार किसी से मिलता.जुलता नहीं है। सोमवार को जब पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम एंबुलेंस लेकर कॉलोनी में पहुंची तो पड़ोसियों में जिज्ञासा जगी। लोग यहां जमा हुए, पुलिस वालों से पूछा तो पूरी कहानी का पटाक्षेप हुआ।

सुजान ने प्लंबर से मांगी थी मदद

सुजान ने कई बार कॉलोनी के प्लंबर सुब्रत कुमार से मकान खुलवाने के लिए मदद भी मांगी थी। प्लंबर सुब्रत कुमार ने बताया कि सुजान के कहने पर कई बार उसने किसी बहाने से मकान खुलवाने की कोशिश की। लेकिन मुनमुन ने मकान नहीं खोला। पाइप लाइन ठीक करने और मकान में सीलन का बहाना भी बनाया, लेकिन बात नहीं बनी।

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