Friday, May 3, 2024
उत्तर-प्रदेशलखनऊ

चाय पीते हुए ऐसे आई छह लोगों की मौत, देखकर हो गया हर कोई हैरान, घर कहा था, जल्द लौट आऊंगा…….

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पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क

रायबरेली के खगियाखेड़ा गांव के कई परिवारों के लिए बुधवार सुबह का उजाला जीवन भर के लिए अंधेरा साबित हो गया। बेकाबू डंपर ने छह लोगों को रौंद दिया। हादसे में चार लोग जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। एक साथ गांवों में छह मौतों से हर कोई स्तब्ध दिखा। जिस समय हादसा हुआ। उस समय लोग सोकर उठे। ठंड की वजह से कुछ रजाई में ही थे। इसी बीच मनहूस खबर आई तो लोग बदहवास से सड़क की ओर दौड़ पडे़। लोग पहुंचे तो सिर्फ चीख.पुकार की आवाजें ही आ रहीं थीं। अपनों को खोने का गम उनके बहते आंसुओं में साफ दिख रहा था। गांव के लोग ढांढस बंधाने पहुंचे मगर अपने ही आंसू नहीं रोक पा रहे थे। हादसे के कारण गांव के कई घरों में चूल्हा भी नहीं जला।

बेटे संग मिलकर चलाते थे चाय की दुकान

खगियाखेड़ा गांव की रहने वाली दिव्यांग शिवानाथा ने बताया कि पति ललई 65 वर्ष बेटे श्रवण के साथ मिलकर चाय की दुकान चलाते थे। कहा था कि सर्दी ज्यादा है। जल्द दुकान बंद करके घर आ जाऊंगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हादसे ने उन्हें छीन लिया। बेटा भी जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। ललई के परिवार में पत्नी के अलावा बेटे राजेश, श्रवण, पुष्पेंद्र और बेटी अनामिका 16, प्रिया 14, श्रेया 12 हैं। इसमें राजेश व श्रवण की शादी हो चुकी है। बाकी लोग अविवाहित हैं। शिवानाथा ने बताया कि चाय की दुकान और खेती से परिवार चलता था।

हादसे में जान गंवाने वाला लल्लू मूलरूप से उन्नाव जिले के मवई गांव का रहने वाला था। वह अपनी ससुराल खगियाखेड़ा में काफी समय से रहता था। वह खेती कर परिवार चला रहा था। घर पर पत्नी के अलावा बेटा राज 15 वर्ष बेटी सपना 20 वर्ष हैं। सपना ने बताया कि पिता जी ने कहा था कि ललई की दुकान पर चाय पीने जा रहा हूं। जल्द लौट आऊंगा। बताया कि गांव के कई लोग चाय की दुकान पर बतकही के लिए जुटते थे। काफी देर तक इंतजार किया। लेकिन पिता नहीं आए। मनहूस खबर आई। घटनास्थल पर पहुंची तो पिता की मौत हो चुकी थी। घर की खुशियां चली गईं।

टहलने गए थे, लौटकर नहीं आए
रवींद्र 35 वर्ष की मौत से पत्नी समेत अन्य परिजन गमगीन हैं। पत्नी संगीता ने बताया कि पति टहलने गए थे। कहा था कि जल्द घर लौट आऊंगा। टहलने के दौरान वह चाय पीने लगे। इसी दौरान उनकी मौत हो गई। परिवार में पत्नी के अलावा बेटा शिवांशू 13, वंशिका 10 वर्ष वर्तिका 6 वर्ष हैं। पत्नी संगीता ने बताया कि पति वैवाहिक कार्यक्रमों में फोटोग्राफी करते थे। उनकी कमाई से घर चलता था। भगवान ने घर की खुशियां छीन लीं। अब बच्चों को अकेले कैसे संभालूंगी।

आंसू बता रहे टूटा गमों का पहाड़

हादसे में जान गंवाने वाले वृंदावन उर्फ गुटकू 40 की दिव्यांग पत्नी सोहनदेई का रो.रोकर बुरा हाल है। वह बोल नहीं सकती हैं। चीख.चीखकर रो भी नहीं सकती मगर आंसू बता रहे हैं कि उन पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा है। बहू ज्योति ने बताया कि दिव्यांग पति मुकेश व सास बोल नहीं सकते हैं। अपना दर्द नहीं कह सकते हैं। सिर्फ रोए जा रहे हैं। बहू ज्योति ने बताया कि ससुर गुटकू ने कहा था कि वह खेत देखने जा रहे हैं। एक घंटे तक इंतजार के बाद भी ससुर घर नहीं आए। कुछ समय बाद उनकी मौत की खबर घर आई।

हादसे ने उजाड़ दी दुनिया

हादसे में शिवमोहन 40 वर्ष की मौत से हर कोई गमगीन है। परिवार में पत्नी फूलमती के अलावा बेटी मोनिकी 18 वर्ष, सुनील 13, नितिन 10 हैं। पत्नी ने बताया कि पति ने कहा था कि खेत जा रहा हूं। गेहूं की फसल देखने के साथ ही ललई की दुकान पर चाय भी पी लूंगा। इसके बाद लौट आऊंगा। काफी देर तक हम लोग इंतजार करते रहेए लेकिन वह नहीं आए। गांव के पास हादसे की खबर मिली तो दौड़कर मौके पर पहुंची। पता चला कि हादसे ने उनकी दुनिया उजाड़ दी। बताया कि बेटी मोनिकी की शादी की बात चल रही थी। अब सब बर्बाद हो गया।

खेत देखने की बात कहकर गए पर नहीं लौटे

संतोष की भी जान चली गई। पत्नी गुड़िया, बेटा शिवा 12 वर्ष, कंचन 7, सूरज 4 को इस हादसे ने जीवनभर का दर्द दे दिया। गुड़िया ने बताया कि सुबह कोहरा अधिक था। अक्सर पति सुबह खेत जाते थे कि कहीं खेत में जानवर तो नहीं फसल चर रहे हैं। इसके बाद वह ललई की दुकान पर चाय पीकर घर लौट आते थे। बुधवार की सुबह खेत जाने की बात कहकर घर से निकले थे। मुझे पता होता कि हादसा हो जाएगा तो उन्हें घर से खेत न जाने देती। खेती से ही उनका परिवार चलता था।

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