तीन की मौतः सेप्टिक टैंक में बनती है कौन सी गैस और कैसे चली जाती जान, इन बातों का जरूर रखें ध्यान……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
कानपुर। बर्रा के मालवीय विहार में निर्माणाधीन मकान में सेप्टिक सीवर टैंक में उतरे तीन मजदूर जहरीली गैस की चपेट में आकर अपनी जान गंवा बैठे। तीन परिवारों का सहारा छिन गया और अपनों को जीवन भर का गम दे गए। स्मार्ट सिटी कानपुर के ज्यादातर इलाकों में सीवर लाइन नहीं होने से सेप्टिक टैंक में ही सीवर गिराया जा रहा है। लेकिन, क्या जानते हैं सेप्टिक टैंक में कौन सी गैस बनती है और किस तरह जानलेवा हो जाती है। आइए बताते हैं कि तीन मजदूरों की मौत सेप्टिक टैंक में कैसे हुई होगी और सेप्टिक टैंक में उतरते समय क्या सावधानी रखनी चाहिये।
सेप्टिक टैंक से निकलती है मीथेन
जीएसवीएम मेडिकल कालेज में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर प्रोण् विशाल गुप्ता बताते हैं कि सेप्टिक टैंक के कचरे व सीवरेज में बनने वाली गैस का प्रमुख घटक मीथेन है। जो उच्च सांद्रता में अत्यंत विषैला हो सकता है। गंदे पानी के कारण भी ऐसी गैस बन सकती है।
मीथेन गैस के संपर्क में आने से आंखों में जलनए गले में खराश, सांस की तकलीफ और खांसी और अधिकता से तंत्रिका तंत्र ;नर्वस सिस्टम प्रभावित हो सकता है। घुटन, सिरदर्द और चक्कर के साथ गैस की अधिकता फेफड़े और मस्तिष्क पर प्रभाव डालती है। जो मृत्यु कारण बन जाता है।