एक ऐसी मां जो कारगिल युद्ध में बलिदान हुए बेटे के लिए रोजाना लगाती है बिस्तर, थाली में परोसती है खाना……
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
अलीगढ़। भारत मां के सपूतों ने इस देश के स्वाभिमान को कभी डिगने नहीं दिया। इसके लिए प्राणों की आहुति देने से भी वे पीछे नहीं हटे। कारगिल युद्ध में घर.परिवार की चिंता किए बिना ये रणबांकुरे रण क्षेत्र में कूद गए और दुश्मनों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। इन रणबांकुरों ने मातृ भूमि का कर्ज अपने प्राण देकर चुकाया। मातृ भूमि के प्रति इनका त्याग और समर्पण न भारत मां भूलेगी और न इन्हें जन्म देने वाली मां। इन्हीं रणबांकुरों में तहसील इगलास के कस्बा गोरई के पास गांव खेमकाबास के प्रेमपाल भी थे। जो आज भी अपनी मां के लिए जीवत हैं।
मां दोनो वक्त बलिदानी बेटे के लिए परोसती है खाना
मां वीरमती देवी हर रोज दोनों वक्त बेटे के लिए थाली परोसती हैं। बेटे की तस्वीर सामने रखकर अपने हाथों से भोग लगाती हैं। फिर दस मिनट बाद ही खाना खाती हैं। यही नहीं शाम को बेटे के लिए बिस्तर लगाकर उसकी तस्वीर के पास ही सोती हैं। इस मां ने बेटे को अपने हृदय में जीवित रखा है। बलिदानी प्रेमपाल के परिवार को सरकार ने खैर में गैस एजेंसी आवंटित की थी। यहां प्रेमपाल के पिता शिव सिंह और छोटा भाई महावीर परिवार के साथ रहते हैं। लेकिन मां वीरमती अपने बलिदानी बेटे की यादों के साथ गांव में अकेली रह रही हैं। उन्हें लगता है कि बेटा मेरे साथ ही रहता है।