यूपी चुनावः वोटों के बंटवारे से फंस गईं कई हॉट सीट, पश्चिम में एकाधिकार टूटा, भाजपा.गठबंधन के लिए कहीं राहत तो कहीं आफत…….
पूर्वांचल पोस्ट न्यूज नेटवर्क
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तमाम सियासी कोशिशें वोटों का बिखराव नहीं रोक सकीं। इस बार पुराने और सुरक्षित किलों में भी सेंध लगी है। कोई आश्चर्य नहीं कि पुरानी परंपरागत और हॉट सीटों के परिणाम चौंकाने वाले निकले। यह दावा सियासी गलियारों में भी हो रहा है। वोटों के बिखराव में भाजपा से लेकर सपा.रालोद गठबंधन भी फंसा है। कौन बंटा और कौन खिला के बीच पश्चिमी यूपी के चुनाव की पहली जंग मतदान के साथ गुरुवार को पूरी हो गई।
मतदान के बाद सियासी गलियारों में इस बात का नफा.नुकसान लगाया जाता रहा कि कौन कहां चला। सबसे बड़ा सवाल जाट मतदाताओं को लेकर था। रालोद के साथ आने के बाद गठबंधन यह दावा कर रहा था कि इस समाज का वोट उसको ही मिलेगा। मतदान के बाद भाजपा ने दावा किया कि इस समाज ने सुरक्षा के नाम पर उसको भी बहुतायत के नाम पर वोट किया है। वोटों का बिखराव सभी जगह हुआ है।
जाट मतों में बंटवारा
मुजफ्फरनगर से रिपोर्ट है कि यहां वोटों का बिखराव हुआ है। इन वोटों के बिखराव से भाजपा को राहत मिलती दिख रही है वहींए गठबंधन का दावा है कि बिखराव नहीं हुआ। ज्यादातर वोट हमारे हक में गए हैं। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान का दावा है कि साठ फीसदी उनके समाज के वोट भाजपा के हक में गए हैं। बाकी चालीस फीसदी में भी बंटवारा हुआ है। बुलंदशहर जिले की भी कुछ इसी प्रकार की रिपोर्ट है। वहां भी बंटवारा नहीं रोका जा सका है।
हापुड़ की धौलाना और हापुड़ विधानसभा सीटों पर यही बंटवारा महसूस किया गया। बागपत की सीट पर रालोद के समक्ष वर्चस्व की लड़ाई है। बागपत की रिपोर्ट कहती है कि वहां छपरौली सीट पर भाजपा और रालोद में कड़ा मुकाबला है। बागपत की सीट फंस गई है। वहां वोट शिफ्टिंग एक बड़ी समस्या बनकर उभरा है। बड़ौत सीट की भी यही कहानी है। सजातीय और विजातीय वोटों के बीच दावे कुछ भी हों लेकिन सियासी नेता मानते हैं कि इस बार किसी एक पार्टी का किसी समाज के वोटों पर कब्जा नहीं रहा।